सोनोत संताल समाज केंद्रीय समिति का विश्व आदिवासी महोत्सव में शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन



पारंपरिक मांदर की थाप, नृत्य व संगीत से हुआ आरंभ

धनबाद.रणधीर वर्मा स्टेडियम(गोल्फ ग्राउण्ड), धनबाद में सोनोत संताल समाज केन्द्रीय समिति, धनबाद के तत्वावधान में पूर्व आहुत सांस्कृतिक कार्यक्रम विश्व आदिवासी महोत्सव की शुरुआत जनपद के विभिन्न अंचल क्षेत्र से आए जनजातीय समुदाय समुहों के द्वारा पारम्परिक मांदर की थाप, नृत्य व संगीत से आरम्भ हुआ. कार्यक्रम में सम्मिलित जनजातीय समुदाय समुह के तमाम युवक युवतियां अतिविशेष अपने सांस्कृतिक मनमोहक परिधान में झारखण्ड सहित पूरे विश्व की यथार्थ प्राचीन और आधुनिक सभ्यता को सम्मिलित रूप से अलंकृत कर प्रस्तुति देते दिखाई दिए. कार्यक्रम के बतौर मुख्य अतिथि रमेश टुडू जिलाध्यक्ष झा०मु०मो० धनबाद के द्वारा उपस्थित जनजातीय समुदाय के कार्यक्रम प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए उपरोक्त कार्यक्रम की रूपरेखा के बाबत आवश्यक दिशानिर्देश जारी किए.विशिष्ट अतिथि के रूप में रतिलाल टुडू अध्यक्ष बाघमारा प्रखण्ड समिति झा०मु०मो० ने इस महत्वपूर्ण दिवस विश्व आदिवासी महोत्सव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आदिवासी जनजातियां भारत के विभिन्न राज्यों में प्राचीन काल से ही मूल जाति के रूप में निवास करते आ रही है और अपनी अमिट विशिष्टताओं के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को महोत्सव को विश्व जनजातीय समुदाय के द्वारा हर्षोल्लास के साथ अंतराष्ट्रीय स्तर पर मनाने की परंपरा है। विश्व आदिवासी दिवस दुनियाभर में स्थित आदिम जनजातियों के अधिकार, संरक्षण और उनकी सुरक्षा को लेकर यह दिवस मनाया जाता है। भारतीय आदिवासी समुदाय पिछड़ा जरूर है लेकिन आज के यथार्थ समाज का अभिन्न अंग है। आदिवासी समाज की अदम्य साहस का परिचय इस बात से लगाया जा सकता है कि भारतीय स्वाधीनता संग्राम व क्रांति की शुरुआत झारखण्ड की धरती से बिगुल फूंक कर हमारे पूर्वजों ने ही शुरू किया था। अंग्रेजों के खिलाफ आदिवासी योद्धाओं का विद्रोह काफी महत्वपूर्ण रहा है, तत्कालीन ब्रिटिश शासन ने आदिवासियों के खात्मा और दमन के लिए कितना क्रुरता पूर्वक कदम उठाए परंतु वास्तविक जीत हमारी हुई। आज झारखण्ड राज्य की सत्ता में धरती पुत्र हेमन्त सोरेन के कुशल, दक्ष व परिपक्व नेतृत्व में प्रांत के वीर योद्धाओं और शहिदों के अधूरे, रूके और जटिलताओं में फंसे सपनो को एक एक कर पुरा किया जा रहा है। आज आदिवासी समुदाय मुख्य रूप से जल, जंगल और जमीन के साथ संस्कृति, प्राकृति, परम्परा और अपनी आजादी तथा उसमें निहित मूल अधिकारों की रक्षा के प्रति जागरूक, संवेदनशील और सक्षम होते जा रही है। आज का विश्व आदिवासी दिवस विशेष आदिवासी संस्कृतिक परम्परा झांकी के रूप में रणधीर वर्मा स्टेडियम से हजारों की संख्या में जिला मुख्यालय रणधीर वर्मा चौक पर धरोहर स्वरूप आदिवासी विरासत को संजोने व हक अधिकार में नियमित सहभागिता, सम्मान और मौलिक अधिकारों के बाबत कार्यक्रम में परिणत होकर समाप्त हुई। कार्यक्रम में मुख्य रूप से अनिल कुमार टुडू, सुखलाल मरांडी, लखी सोरेन, नरेश टुडू, अंजय हांसदा, गुरचरण बास्की, हेमंत सोरेन, शंकर हेम्ब्रम, संजय मरांडी, लखीन्द्र हांसदा, छुटुलाल सोरेन, तरुण मुर्मू, चांद हांसदा, रविलाल हेम्ब्रम, जीवन टुडू, निर्मल हेम्ब्रम, रामजीत टुडू, किशोर किस्कू, लक्ष्मी देवी, मालती देवी आदि एवं अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहें।

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