जमुई से सरोज कुमार दुबे की रिपोर्ट
जिले के सोनो प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सोनो बरनार नदी घाट पर बीते डेढ़ माह से सोनो में बालू उठाव का विरोध कर रहे हैं ग्रामीण, गुरुवार को पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में सोनो घाट से बालू का उठाव हुआ था प्रारंभ। बीएसएमसी द्वारा तीन महीने का अवधि विस्तार मिलने के बाद से ही पिछले डेढ़ महीने से बरनार नदी के सोनो घाट से बालू उठाव का विरोध जारी है। किसानों के साथ आम लोग बालू उठाव के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं, पर गुरुवार को खनन विभाग व संवेदक के द्वारा बड़ी संख्या पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में बरनार नदी के सोनो घाट से बालू का उठाव शुरू करवाया गया।
गुरुवार दिन भर अनवरत यहां से बालू का उठाव जारी रहा। स्थानीय लोगों को जब इसकी जानकारी मिली तो एक बार फिर बालू उठाव के विरोध में जारी आंदोलन तेज हो गया। शुक्रवार को बरनार नदी बचाओ संघर्ष समिति के आह्वान पर सोनो के व्यवसायियों ने अपने-अपने दुकानों को बंद रख बालू उठाव का विरोध किया। लिहाजा आम दिनों में जिस सोनो चौक व बाजार में काफी चहल-पहल रहती थी वहीं शुक्रवार को पूरी तरह यहां सन्नाटा पसरा रहा।
बाजार बंद कर सैंकड़ों की तादाद में किसान, व्यवसायी, युवा दोपहर में घनश्याम स्थान के समीप जुटे और बैठक की। बैठक के बाद सभी पैदल मार्च करते हुए सोनो चुरहेत कॉजवे के समीप नदी से निकलने वाले रास्ते पर बैठ गए। मौके पर मौजूद पूर्व प्रमुख सह मुखिया प्रतिनिधि सतेंद्र राय,प्रखंड मुखिया संघ के अध्यक्ष सह लोहा पंचायत के मुखिया जमादार सिंह, माले नेता बाबू साहब सिंह, रामचरित्र मंडल, महेंद्र दास, अरुणदेव राय,सहदेव सिंह, चंद्रशेखर सिंह, सुबोध कुमार गुप्ता, कामदेव सिंह, उमेश वर्णवाल, रितेश वर्णवाल, पंकज वर्णवाल आदि ने बताया कि प्रशासन व संवेदक हमारे शांतिपूर्ण आंदोलन को दबाने का प्रयास कर रही है। हम पर झूठा मुकदमा कर रही है, पर हमारा यह आंदोलन जारी रहेगा। किसी भी परिस्थिति में बालू का उठाव नहीं होने दिया जाएगा। संवेदक के प्रतिनिधि को बालू उठाव रोकने को कहा गया। आंदोलन की आगे की रणनीति तय करने के लिए इसके बाद सभी पुनः घनश्याम स्थान घाट पहुंचे और बैठक की। समाचार प्रेषण तक बैठक जारी थी।
संवेदक द्वारा दर्ज कराया गया मुकदमा, पर नहीं थमा आंदोलन दरअसल बीते वर्ष बरनार नदी से बेतरतीब बालू का दोहन किया गया। कारोबारियों के बालू की हवस ने नदी की रूपरेखा ही बदल दी। नदी का सीना चीरकर इसके बीच से रेत निकाली गई। लिहाजा क्षेत्र के किसानों व आम लोगों ने इसका दंश भी झेला। नदी के तटवर्ती क्षेत्र भी सुखे रह गए तो क्षेत्र में भूगर्भ जल स्तर नीचे गिर गया, जिससे यहां पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गई। जब एक बार पुनः बीएसएमसी द्वारा बालू खनन के लिए तीन महीने का अवधि विस्तार दिया गया तो यहां के लोगों का सब्र का बांध टूट गया। जाति,धर्म, आपसी मनमुटाव और क्षेत्रीय राजनीति से ऊपर उठकर लोग बरनार की रक्षा के लिए आंदोलन शुरू किया। संवेदक के द्वारा बालू उठाव का विरोध कर रहे 16 ग्रामीणों को नामजद करते हुए सोनो थाना में मुकदमा दर्ज करवाया गया। लगातार बैठक की जा रही थी। सोनो घाट से बालू का उठाव बंद था, पर गुरुवार को बालू का उठाव प्रारंभ होते ही आंदोलन फिर तेज हो गया।