झारखंड : टेरर फंडिंग मामले में क्यू सुस्त पड़ी एनआईए की चाल




Ranchi : झारखंड के बहुचर्चित टेरर फंडिंग मामले (Terror funding case) में नेशनल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी (एनआईए) की चाल अचानक से सुस्त पड़ गयी है. वर्ष 2018 में एनआईए (NIA) ने इस मामले की जांच अपने हाथों में लेते हुए प्राथमिकी दर्ज की थी. एनआईए ने टेरर फंडिंग मामले में आरोपी बनाये गये आधुनिक कारपोरेशन लि. के पूर्व प्रबंध निदेशक महेश अग्रवाल (Mahesh Agarwal) को इसी साल 18 जनवरी को कोलकाता से गिरफ्तार किया था. करीब तीन माह जेल में रहने के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने 11 अप्रैल 2022 को उन्हें जमानत दे दी. इस मामले को दो अन्य हाई प्रोफाइल आरोपियों बीकेबी कंपनी के विनीत अग्रवाल और दुर्गापुर के व्यवसायी सोनू अग्रवाल को एक हफ्ते बाद 18 अप्रैल को जमानत मिली. फिलहाल यह मामला एनआईए की विशेष अदालत में विचाराधीन है. इस बीच टेरर फंडिग मामले के एक आरोपी सोनू अग्रवाल का नाम रांची के चर्चित वकील राजीव कुमार को कोलकाता में 50 लाख रुपयों के साथ गिरफ्तार कराने के मामले में भी आया है. अधिवक्ता राजीव कुमार ने ईडी को बताया है कि सोनू अग्रवाल के कहने पर ही वह अमित अग्रवाल से मिलने कोलकाता गये थे. इस संगीन आरोप के बावजूद एनआईए ने आरोपियों की जमानत खारिज कराने की कोई पहल अबतक नहीं की है.

बता दें कि टेरर फंडिंग मामले में एनआईए की ओर से चार्जशीट दायर किये जाने के बाद महेश अग्रवाल ने हाईकोर्ट में क्वैशिंग याचिका दायर की. क्वैशिंग याचिका खारिज होने पर महेश अग्रवाल ने एनआइए कोर्ट में जमानत की याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. इसके बाद एनआईए ने उनकी गिरफ्तारी की थी. टेरर फंडिंग का यह मामला चतरा जिले के टंडवा थाना में दर्ज कांड संख्या 22/2018 से जुड़ा हुआ है. इसकी जांच NIA कर रही है. पहले इस केस में आधुनिक पावर के जीएम संजय कुमार जैन, ट्रांसपोर्टर सुधांशु रंजन उर्फ छोटू सिंह, सुभान मियां, बिंदेश्वर गंझू उर्फ बिंदु गंझू, प्रदीप राम, विनोद गंझू तथा अजय सिंह भोक्ता समेत नौ लोगों को आरोपी बनाया गया था. एनआईए ने जांच के बाद मगध-आम्रपाली कोल परियोजना से टेरर फंडिंग मामले में आधुनिक कॉरपोरेशन लिमिटेड के एमडी महेश अग्रवाल, बीकेबी ट्रांस्पोर्ट कंपनी के विनीत अग्रवाल और दुर्गापुर के कारोबारी सोनू अग्रवाल के खिलाफ पूरक चार्जशीट दाखिल की थी.

टेरर फंडिंग मामले में जांच एजेंसी के इस खुलासे से झारखंड में हड़कंप मच गया था और ऐसा लग रहा था कि एनआईए झारखंड में नक्सलवाद का वित्त पोषण करनेवालों का खुलासा कर इसकी आर्थिक कमर तोड़ देगी, लेकिन चार साल बीतने के बाद भी इस मामले में एनआईए की प्रगति कुछ खास नहीं रही है. इधर आरोपी बनाये गये लोग जमानत लेकर पहले की तरह अपने कारोबार में जुट गये हैं.

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