धनबाद :शहर से लेकर गांव तक लोगों में उत्साह का माहौल है। नहाए खाए में छठ व्रतियों ने अरवा चावल का भात,चने की दाल के साथ कद्दू की सब्जी का प्रसाद बनाया।पारंपरिक छठ गीतों के साथ कद्दू भात प्रसाद का निर्माण हुआ। ऐसी मान्यता है कि नहाय-खाय के दिन भगवान सूर्य को कद्दू भात का पहला भोग अर्पित किया जाता है। इसके बाद व्रती खरना के साथ 36 घंटों का महानिर्जला व्रत करती हैं। शनिवार 29 अक्टूबर को छठव्रती खरना करेंगी। खरना में दोपहर को विधि विधान के साथ अपने घर पर सूर्य देव को पहला अर्घ अर्पित किया जाता है।और संध्या में छठी मैया की पूजा की जाती है। समाज के लोग खरना का प्रसाद खाने छठ व्रतियों के घर पहुंचते हैं।ऐसी मान्यता है कि जिस वक्त छठव्रती खरना का प्रसाद ग्रहण कर रही होती है, किसी तरह की आवाज नहीं होनी चाहिए। खरना के शाम को कुछ समय के लिए सारे लाउडस्पीकर आदि बंद कर दिए जाते हैं।