Dhanbad:नगर निगम ने भी मूंद ली हैं आंखें, पुलिस महकमा भी लाचार शहर के एक स्थान पर खराब सीसीटीवी

धनबाद -पुराणों की कथा के अनुसार देवताओं पर जब भी संकट आता था तो वे भगवान शंकर की शरण में चले जाते थे. कभी किसी राक्षस के जुल्म से परेशान, तो कभी किसी की तपस्या से भयग्रस्त देवता उनसे गुहार लगाते थे. भगवान शंकर भी जब संकट से मुक्ति का सारा उपाय कर चुके होते तो कुपित हो जाते थे और ऐसी हालत में अपनी तीसरी आंख का इस्तेमाल कर सामने वाले दुष्ट राक्षस अथवा अभिमानी का संहार करते थे.


आधुनिक युग में सीसीटीवी भगवान शिव की तीसरी आंख
युग बदला और विज्ञान की प्रगति हुई तो सीसीटीवी कैमरे का जन्म हुआ, जिसे आधुनिक तीसरी आंख भी कहा जाता है. सीसीटीवी कैमरे के रूप में यह तीसरी आंख भी हर दुष्ट, अपराधी और गलत काम करनेवालों पर नजर रखती है. सरकार ने इस वैज्ञानिक उपलब्धि को हथियार के रूप में पेश किया. यह हथियार पुलिस विभाग के लिए वरदान साबित हुआ. जहां पुलिस स्वयं नजर नहीं रख पाती, वहां यह तीसरी आंख किसी भी अपराधी का पीछा करती रहती है.


लापरवाही से भोंथरा हो गया विज्ञान का दिया हथियार
मगर हर वैज्ञानिक उपलब्धि के गलत इस्तेमाल अथवा उसके प्रति उदासीनता ने जिस तरह हमारे समाज को भटकाव के रास्ते पर ला खडा किया है, उस लापरवाही से पुलिस अथवा सरकारी विभाग भी अछूता नहीं है. हालत यह है कि धनबाद कोयलांचल में अपराधियों पर नजर रखने के लिए जितने भी सीसीटीवी लगाए गए हैं, उनमें अधिकतर या तो खराब पड़े हैं अथवा रखरखाव के अभाव में उनकी क्षमता ही घट गई है. ऐसी हालत में अपराधियों की पौ बारह है और पुलिस अंधेरे में हाथ-पांव मारती रहती है. शहर में अपराधियों के बीच भय पैदा करने और आम लोगों की सुरक्षा के लिए चौक चौराहे पर 5 करोड़ की लागत से 116 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए. उन कैमरों में 56 खराब पड़े हैं. नगर निगम ने सीसीटीवी तो लगा दिये. मगर उसके रखरखाव का काम ही भूल गया. हर चौक-चौराहे पर यह सीसीटीवी कैमरा आज शोभा की वस्तु बन कर रह गया है. रखरखाव के अभाव में कई कैमरे खराब हो चुके हैं. शहर की गतिविधि पर नजर रखने के लिए 2017 में विभिन्न इलाकों में आधुनिक क्लोज सर्किट टीवी कैमरे लगाये गये थे, लेकिन कभी भी एक साथ सभी कैमरे ने काम नहीं किया.

सीसीटीवी नहीं तो फिर अपराधियों को भय भी नहीं
हालत यह है कि जहां सीसीटीवी नहीं है, सबसे ज्यादा अपराध भी वहीं हो रहे हैं. शहर के सदर, बैंक मोड़ व सरायढेला थाना क्षेत्र में ऐसे 51 स्थल है, जहां अपराधी चोरी व छिनतई को अंजाम देते हुए आराम से निकल जाते हैं. सर्विलांस की व्यवस्था नहीं होने व मानवीय सूचनाएं नहीं मिलने के कारण पुलिस को अनुसंधान में भी भारी परेशानी होती है. शहर के तीनों थानों के कुछ ऐसे चयनित स्थल हैं, जहां समय समय पर आपराधिक घटनाएं होती रहती हैं. इधर प्रमुख चौक चौराहे पर लगभग 116 सीसीटीवी में अधिकतर खराब पड़े हैं. शेष जगहों पर तो कैमरे की व्यवस्था ही नहीं है. आपराधिक घटनाएं होती हैं और पुलिस अपराधियों की खोज में हाथ मलती रहती है.

तीन थाना क्षेत्र में बिना कैमरे वाला 51 ब्लैक स्पॉट
सदर थाना क्षेत्र के हीरापुर हरि मंदिर रोड, नावाडीह पॉलिटेक्निक रोड सहित उमेश ऐसे स्पॉट हैं, जहां चेन छिनतई और चोरी की घटनाएं होती हैं. हीरापुर हरि मंदिर रोड जाने वाली सड़क कई गलियों से मिलती है, जहां कैमरा नहीं है, कुछ प्रतिष्ठानों में कैमरे लगे हैं, लेकिन क्वालिटी खराब है. सीसीटीवी फुटेज मिलने के बाद भी पहचान नहीं हो पाती है. कई जगहों पर तो कैमरे हैं ही नहीं. भागने के भी कई रास्ते हैं. अपराधी घटना को अंजाम देकर आराम से फरार हो जाते हैं. कुसुम विहार, कोला कुसमा, कार्मिक नगर, मुरली नगर हीरक बायपास रोड जैसी 21 जगहों पर सर्विलांस की व्यवस्था नहीं है. यहां अक्सर चोरी, छिनतई होती रहती है. बैंक मोड़ में जिला प्रशासन के दो चौक पर कैमरे लगाए गए हैं. मार्केट में दुकानदारों ने भी कैमरे लगाए हैं. बैंक से पैसा निकाल कर घर जाते समय अपराधी अक्सर उन्हें लूट लेते हैं. मार्केट कांप्लेक्स से बैंक तक कैमरे लगाए गए हैं. मगर इलाका भीड़भाड़ वाला है, जहां अपराधी घटना को अंजाम देकर भीड़ में गुम हो जाते हैं. कैमरे की क्वालिटी बेहतर नहीं है.

यह नगर निगम की जिम्मेवारी : एसएसपी

एसएसपी संजीव कुमार
एसएसपी संजीव कुमार का कहना है कि यह नगर निगम की जिमेवारी है. सीसीटीवी से पुलिस विभाग को अनुसंधान करने में काफी सहायता मिलती है.

नगर निगम सुनता ही नहीं: बिनोद उरांव

विनोद उरांव
कंट्रोल रूम के इंस्पेक्टर इंचार्ज बिनोद उरांव कहते हैं कि कई बार नगर निगम को पत्र दिया गया है. बावजूद निगम कोई पहल नहीं कर रहा है. एक बार फिर याद दिलाने के लिए पत्र दिया जाएगा.

मैं कुछ नहीं जानता : प्रकाश कुमार

प्रकाश कुमार
सहायक नगर आयुक्त प्रकाश कुमार सीसीटीवी कैमरे के सवाल पर भागने लगे. कहा कि मुझे जानकारी नहीं है. यह सवाल कार्यपालक पदाधिकारी से करे.

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