जमुई से सरोज कुमार दुबे की रिपोर्ट
जिले के सोनो प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत पूरे प्रखंड में यूरिया की किल्लत से किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है यूरिया नहीं मिलने के कारण किसान यूरिया के दुकानों पर सुबह से ही लाइन में लग जाते हैं ताकि जल्द से जल्द यूरिया मिल सके और लेकर खेतों में डाला जा सके ताकि खेतों से पैदावार अच्छी मिले इस विषय में चरैया के रामकिशुन यादव रविवार की सुबह चार बजे उठे, जल्दी से तैयार होकर जैसे तैसे नाश्ता कर हाथ में आधार कार्ड की कॉपी लिए और घर से निकल पड़े। उन्हें जल्दी सोनो पहुंचना है और यूरिया खाद के लिए दुकान के सामने लाइन लगानी है। छह बजे जब वह दुकान पर पहुंचे तो दुकान के सामने उनके जैसे दर्जनों की संख्या में किसान,हाथ में आधार कार्ड लेकर लंबी लाइन में खड़े थे। रामकिशुन भी भारी मन से लाइन में खड़े हो जाते हैं। अब उन्हें अंदेशा लग रहा है कि आठ बजे जब दुकान खुलेगी तो उन्हें यूरिया मिल पाएगा भी या नहीं। केवाली के बमशरण सिंह, विजैया के अनिल यादव, रजौन के बालमुकुंद कुमार, असहना के शैलेंद्र सिंह सहित दर्जनों ऐसे किसान हैं जो यूरिया के लिए बीते कई दिनों से खाद दुकान के चक्कर लगा रहे हैं और रामकिशुन की तरह ही सुबह से लाइन में लगकर दुकान खुलने का इंतजार करते हैं। प्रखंड में लगभग प्रतिदिन का दुकान के सामने ऐसी तस्वीर देखने को मिल रही है।यहां आए दिन किसान यूरिया खाद की किल्लत से जूझ रहे हैं। मौसम का साथ मिला, इस बार किसानों को अच्छी पैदावार की उम्मीद बनी। पर खाद की किल्लत से किसानों की आस फिर एकबार टूटती नजर आ रही है। खाद के लिए किसान भटक रहे हैं, लेकिन इस और ना तो प्रशासन और ना ही जनप्रतिनिधि का ध्यान है। खाद दुकानों के सामने लगे किसानों की लंबी लाइन देखकर कहा जा सकता है कि किसानों की आय दोगुनी करने के सरकार के चाहे जितने भी दावे कर लें, लेकिन किसान सिर्फ कहने के लिए आज अन्नदाता रह गए हैं।आज तक किसानों को खाद की ऐसी किल्लत से सामना नहीं हुआ था। किसान सुबह से लेकर देर रात तक खाद की खोज में भटकते रहते हैं। अगर कहीं से खाद मिल गई तो उसे जंग को जीतने के बराबर समझते हैं। कहने को तो प्रखंड में आधा दर्जन लाइसेंसी दुकानदार हैं लेकिन इन दुकानदारों को भरपूर मात्रा में खाद की आपूर्ति नहीं किया जा रहा है। कहीं खाद का स्टॉक है तो कहीं नहीं। ऐसे में किसान एक दुकान से दूसरे दुकान भागते नजर आ जाते हैं। बारिश होने की वजह से खेतों में खाद डालना किसानों के लिए बहुत जरूरी हो गया है। मेहनत से सींची फसल के लिए खाद चाहिए, जिसके लिए लंबी-लंबी लाइनें लगानी पड़ रही है। बावजूद इसके खाद नहीं मिल पा रहा है। डर है कि खेतों में रोपी गई धान की फसल खराब ना हो जाए।