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जमुई से सरोज कुमार दुबे की रिपोर्ट
जिले के सोनो प्रखंड में बहने वाली बरनार नदी के किनारे स्थित है मां ब्रह्म देवी का मंदिर। इस मंदिर के प्रति क्षेत्र के लोगों की काफी आस्था है। माना जाता है कि सच्चे मन से मां के सामने जो मन्नते मांगी जाती है वह निश्चित रूप से पूर्ण होता है। इस रमणीय स्थान से जुडे इतिहास के बारे में शिक्षक संजय कुमार पांडेय बताते हैं कि मां ब्रह्म देवी एक ब्राह्मण कुमारी थी, जो अपने पिता के साथ प्रत्येक दिन बरनार नदी के दूसरे किनारे पर स्थित भगवान शिव के मंदिर में पूजा करने जाती थी। एक दिन गर्मी के मौसम में उसके पिता पूजा कर वापस लौटे, लेकिन अपना पूजा का लोटा वही भूल गए ,जिसे लेने मां ब्रह्म देवी वहां वापस गई।इसी बीच उस मंदिर का छत गिर गया और मां ब्रह्मदेवी उसी मंदिर के नीचे दब गई।जब इस बात की जानकारी यहां के लोगों को लगी तो वेलोग वहां गए पर मां ब्रह्मदेवी देवी का शरीर वहां नहीं था। उसी रात यहां के सभी ब्राह्मणों को एक साथ एक स्वपन आया कि मेरी पिंडी बनाकर पूजा करो। मैं सबकी इच्छा पूर्ण करूंगी। तभी से लेकर अब तक मां की पूजा चलती आ रही है। यहां प्रत्येक वर्ष भादो और माघ पूर्णिमा के अवसर पर मेला लगता है। इस अवसर पर यहां श्रद्धालुओं का अटूट विश्वास अटूट आस्था मां ब्रह्मदेवीके प्रति देखी जाती है।
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