धनबाद: सुरेन्द्र हरीदास महाराज के सानिध्य में श्री श्री राधा कृष्ण प्रेम मंदिर के तत्वावधान केंदुआ हटिया धर्मशाला के प्रांगण में कथा के पंचम दिवस की शुरूआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई । इसके बाद हरिदास महाराज ने सभी भक्तगणों को “राधे तेरा घर अंगना फुलों सा महकता है …” भजन श्रवण कराया आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन रहा है। यह काल सनातन संस्कृति के जागरण का काल है।सुरेन्द्र हरीदास महाराज ने कहा कि बच्चों को धर्मात्मा बनाना मां-बाप का नैतिक दायित्व है। यदि बच्चे आपकी नहीं बात न मानकर मनमानी करते हैं, तो इसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार हैं। क्योंकि आपने ही बच्चों का सुविधाएं तो दीं, लेकिन उन्हें संस्कार नहीं दिये। अब वे यदि गलत करते हैं, तो उसका नुकसान तो हमें उठाना पड़ेगा। हरिदास महाराज ने कहा कि यदि हमारे पितरों के प्रसन्न न हों, तो हमें शांति व समृद्धि नहीं मिल सकती। इसलिए उन्हें प्रसन्न रखें। अच्छे समय में सब पूछते हैं, लेकिन इसलिए समय का सही उपयोग करें। उन्होने कहा कि मंदिर में कथा और सार्वजिनक स्थल पर महिलाओं को बाल खोलकर नहीं जाना चाहिए। स्त्री के केस खुले होना अशुभ माना जाता है। पुरुषों को अपनी चोटी में गांठ मारकर रखनी चाहिए। हरिदास महाराज ने कहा कि कथा में यमपुरी में नर्कों में मिलने वाली सजा का जिक्र किया। मनुष्य के कर्मों के हिसाब से फल व सजा मिलती है। उन्होने कहा कि सबको बुरे कर्मों की सजा अवश्य मिलते हैं। जो लोग अपने मां पिता, गुरु, वेदों की निंदा करने वाले, ब्राह्मणों का अपमान करने वालों को कालसूत्र नामक नर्क में सजा मिलती है। नर्क में हमें केवल एक हाथ का शरीर मिलता है और उसे याचना दी जाती है।पूज्य महाराज श्री ने श्रीमद्भागवत कथा पंचम दिवस के प्रसंग का वृतांत सुनाते हुए बताया कि वामन अवतार भगवान विष्णु के दशावतारो में पांचवा अवतार और मानव रूप में अवतार था। जिसमें भगवान विष्णु ने एक वामन के रूप में इंद्र की रक्षा के लिए धरती पर अवतार लिया। वामन अवतार की कहानी असुर राजा महाबली से प्रारम्भ होती है। महाबली प्रहलाद का पौत्र और विरोचना का पुत्र था। महाबली एक महान शासक था जिसे उसकी प्रजा बहुत स्नेह करती थी। उसके राज्य में प्रजा बहुत खुश और समृद्ध थी। उसको उसके पितामह प्रहलाद और गुरु शुक्राचार्य ने वेदों का ज्ञान दिया था। समुद्रमंथन के दौरान जब देवता अमृत ले जा रहे थे तब इंद्रदेव ने बाली को मार दिया था जिसको शुक्राचार्य ने पुनः अपन मन्त्रो से जीवित कर दिया था। इस कथा को सफल बनाने में प्रमुख रूप से मोतीलाल वर्मा,संजय जालान, मिठु अग्रवाल, प्रकाश लाडिया कुणाल सिंह राधे कृष्णा राय,वानर सेना, दिलीप वर्णवाल, संतोष साव, आदि सहित सभी समाज के लोगों का सहयोग रहा।श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठम दिवस पर भगवान कृष्ण की बाललीला, गोवर्धन पूजा, छप्पन भोग का वृतांत सुनाया जाएगा।
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