हजारीबाग : जिला कांग्रेस कार्यालय कृष्ण बल्लभ आश्रम में हिंडनवर्ग के रिपोर्ट के अनुसार अडानी ग्रुप एवं प्रधानमंत्री मोदी की संलिप्ता के आलोक में एक प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया । प्रेसवार्ता में प्रेस प्रत्रकारो को संबोधित करते हुए महानगर अध्यक्ष मनोज नारायण भगत ने कहा कि देश में बढ़ती मंहगाई, बेरोजगारी, कुशासन तथा आर्थिक विफलताओं से आम जनता का ध्यान भटकाने तथा मित्र पूंजीपतियों को सरकारी खजाने की लूट की खुली छूट देने की जवाबदेही से भागने के सवाल पर हम मोदी सरकार को सड़क से लेकर संसद तक घेरने को कट्टिबध हैं । हमारे देशवासी देख रहें कि प्रधानमंत्री श्री राहुल गांधी एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा संसद में पूछे गए ” अडानी से आपका क्या रिश्ता है ” जैसे प्रासंगिक सवालों का जवाब न देकर मुद्दे को भटकाने का असफल प्रयास करते नजर आ रहें हैं । आम जनता सब समझ रही है कि हिंडनवर्ग के खुलासे से अडानी का फैसला देख मोदी जी चुप क्यों हैं ।
भारत के लोग यह जानना चाहते हैं कि मोदी सरकार संयुक्त संसदीय समिति से इस मामले को जांच कराने से क्यों डर रही है जबकि संसद के दोनों सदनो मे उनका बहुमत है । प्रधानमंत्री सत्ता में आने से पूर्व कालाधन भारत में लाने और हर नागरिक के खाते में पंद्रह लाख डालने का वादा किया था, लेकिन सच्चाई इसके उलट है, स्विस बैंको में भारतीय व्यक्तियों एवं कंपनियों का पैसा 14 वर्षो के उच्चतम स्तर पर 3.83 विलियन से उपर पंहुच गया है । हम जानना चाहते हैं कि कालाधन का असली मालिक कौन है, तथा कालाधन भारत लाने का प्रधानमंत्री के वादे का क्या हुआ ।
पिछले 08 वर्षो से प्रधानमंत्री मोदी ने ईडी. सीबीआइ और जैसी ऐजेंसियों का दुरूपयोग अपने राजनीतिक विरोधियों को डराने धमकाने के लिए किया है ।
अडानी समूह के शेयरो में 24 जनवरी और 15 फरवरी 23 के बीच 10,50,000=00 करोड़ की गिरावट दर्ज की गयी । 19 जुलाई 21 को वित्तमंत्रालय ने संसद में स्वीकार किया था कि अडानी समूह सेवी के नियमों का उल्लंघन के आरोप में जांच के दायरे में है, लेकिन कोई जांच नही की गयी । एलआईसी द्वारा खरीदे गए अडानी ग्रुप के शेयरों का मूल्य 30 दिसम्बर 22 को 83000 करोड़ था जो 15 फरवरी 23 को घटा कर 39000 करोड़ रह गया यानी 30 करोड़ एलआईसी पाॅलिसी धारको के वचत मूल्य में 44000 करोड़ की कमी आयी । इसके वाबजूद जांच करने के वजाय मोदी जी ने चालू वर्ष के ” मित्रकाल ” बजट में अडानी समूह को और भी अवसर प्रदान कर दिये ।
अडानी समूह बहुत कम समय में ही भारत के हवाई अड्डे का सबसे बड़ा संचालक बन गया है । इतना ही नही यह समूह वर्तमान में 13 बंदरगाहों और टर्मिनल को नियंत्रित करता है जो भारतीय बंदरगाहों का 30 प्रतिशत है । सरकारी रियायत वाले बंदरगाह भी बिना किसी बोली के अडानी समूह को बेच दिये गये । वर्ष 2010 में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनटीपीसी द्वारा वगेरहाट बंगलादेश में 1302 मेगावाट का थर्मल प्लांट लगाने हेतू युपीए सरकार ने एक समझौता किया था । लेकिन 06 जून 15 को मोदी सरकार ने अडानी को बंगगलादेश में बिजली आपूर्ति हेतू गोड्डा ( झारखंड ) में प्लांट लगाने का आदेश दे दिया ।
इसी प्रकार पिछले 08 वर्षो से लगातार मोदी सरकार देश के महत्वपूर्ण संस्थानों को अडानी ग्रुप के मित्रों के हाथों बेचने तथा भारत के नागरिकों के आंख में धूल झोकने का काम कर रही है ।
प्रेसवार्ता में जिला मीडीया प्रभारी निसार खान वरिष्ठ कांग्रेसी कृष्णदेव प्रसाद सिंह, कृष्णा किशोर प्रसाद, गुड्डू सिंह उपस्थित थे ।
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