बोकारो में छिड़ी चाैधराहट कायम करने की जंग, सांसद चंद्रप्रकाश चाैधरी और डीसी कुलदीप चाैधरी के बीच ठनी


सांसद ने लोकसभा अध्यक्ष को दी विशेषाधिकार हनन का मामला चलाने की नोटिस

बोकारो : झारखंड के बोकारो जिले के उपायुक्त कुलदीप चाैधरी और गिरिडीह के सांसद चंद्रप्रकाश चाैधरी आमने-सामने हैं। दोनों के बीच चाैधराहट की जंग छिड़ गई है। कुलदीप के खिलाफ चंद्रप्रकाश लोकसभा अध्यक्ष के पास पहुंच गए। बोकारो डीसी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। इसे लेकर बोकारो की राजनीति गरमा गई है। चंद्रप्रकाश चाैधरी आजसू के सांसद हैं। दूसरी तरफ बोकारो डीसी परबीते 20 फरवरी को नावाडीह प्रखंड के कार्यक्रम में सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी को सूचना नहीं दिया जाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए सांसद ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र देते हुए बोकारो के उपायुक्त कुलदीप चौधरी , कार्यपालक अभियंता श्रवण कुमार, प्रेम प्रकाश कुमार सिंह पर सांसद के विशेषाधिकार के हनन का मामला चलाने की अपील की है। सांसद ने लोकसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा है कि 20 फरवरी को नावाडीह प्रखंड में पथ निर्माण विभाग , ग्रामीण कार्य विभाग की अलग-अलग योजनाओं का शिलान्यास स्थानीय विधायक के द्वारा किया गया इसकी सूचना उन्हें नहीं दी गई। यही नहीं केंद्र प्रायोजित योजना के शिलान्यास कार्यक्रम में भी उन्हें बुलाया नहीं किया और ना ही इस कार्यक्रम की सूचना दी। यह मेरे विशेषाधिकार का हनन है और उनके सम्मान को ठेस पहुंचा है। इस मामले में सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी का कहना है कि पत्र भेज चुका हूं । संसद सत्र के दौरान लोकसभा अध्यक्ष से इस मामले में व्यक्तिगत तौर पर मिलूंगा। झारखंड सरकार की विशेष कृपा है। अब देखना है कि चाैधराहट की जंग में काैन किस पर भारी पड़ता है। लोकसभा एवं राज्यसभा के सदस्यों के संदर्भ में भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने कई बार सभी राज्यों के मुख्य सचिव को पत्र भेजते हुए उसकी कड़ाई से पालन करने का निर्देश भी दिया है। पर यह पहला मामला नहीं है अक्सर अधिकारी उन नेताओं को ज्यादा तरजीह देते हैं जिस पार्टी की राज्य में सरकार होती है। इस संबंध में तत्कालीन भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय के सचिव पीके मिश्रा ने 9 अक्टूबर 2012, भारत सरकार के संयुक्त सचिव सीएस सुब्रमण्यम तथा वर्ष 2018 में कार्मिक मंत्रालय के सचिव जेए वैद्यानाथन ने भी सभी मुख्य सचिवों को पत्र भेजकर सांसद व राज्य विधानमंडल के सदस्यों के साथ उचित व्यवहार करने उनकी बातों को सुनने, उनके पत्रों का समय पर जवाब देने एवं उनके आने व जाने पर सम्मान में खड़े होने, सार्वजनिक कार्यक्रमों में उन्हें आमंत्रित करने के साथ उन्हें उचित सम्मान दिया जाना चाहिए । यही नहीं वरियता प्रोटोकाल के अनुसार संसद का सदस्य केन्द्र सरकार के सचिव से उपर दिखना चाहिए। पर जिले में ऐसा हो नही रहा है। इस लिए संभावना है कि यह मामला तूल पकड़ने वाला है।

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