हजारीबाग प्रखंड मुख्यालय से महज आठ किलोमीटर की दूरी पर कोनहारा खुर्द पंचायत के धरहरा स्थित बिरहोर कॉलोनी में बसे आदिवासी जनजाति बिरहोर परिवारों के समक्ष रोजगार के अभाव में आर्थिक संकट उत्पन्न हो चुका है। बिरहोर परिवार की आबादी लगभग चार सौ है। सभी लोग दिहाड़ी मजदूर हैं। लेकिन कोरोना काल में उन्हें कोई काम नहीं मिलने से आर्थिक समस्या हो गई हैं। सरकार और प्रशासनिक स्तर पर उनके लिए किसी तरह के रोजगार का सृजन नहीं किया गया है। काम के अभाव में लोग जंगल पर आश्रित होने लगे हैं। वहीं महिलाएं प्लास्टिक बोरे की रस्सी बनाकर अपनी जीविका चला रहे हैं। बिरहोर कॉलोनी में प्राथमिक स्कूल है। लेकिन नामांकन के अनुरूप उनके बच्चों की उपस्थिति कम होती है।पंचायत नीधि से सोलर जलमिनार का निर्माण हुआ है। लेकिन जलमीनार भी प्यास बुझाने में असफल साबित हो रहा है। इन्हें पानी के लिए दो-तीन किलोमीटर बगल क्रशर मंडी जाना पड़ता है।
स्थानीय निवासी लाटो बिरहोर ने कहा कि मुझे आवास नहीं मिला है। इस वजह से सामुदायिक भवन में कपडे घेर कर रहने को विवश हैं। उसने कहा कि कभी कभी पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि आते हैं और कुछ सामग्री देकर चले जाते हैं। हम लोगों के समक्ष समस्याएं जस की तस बनी रहती है। उसने कहा कि अधिक बारिश के कारण पानी में भिंग जाते हैं। वर्षा में हमलोग बारिश से बचने के लिए स्कूल चले जाते हैं। गुड़िया कुमारी दिव्यांग है। उसने बताया कि यहां पर किसी परिवार को गैस चूल्हा नहीं मिला है। यदि हम लोगों को सरकार से गैस चूल्हा मिल जाए तो हम लोगों को खाना बनाने में सहूलियत होगी। गुड़िया कुमारी ने झारखंड सरकार से एक व्हीलचेयर, गैस चूल्हा और एक आवास की मांग की गुहार लगाई है।
जामताड़ा में मुसलाधार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त
जामताड़ा में मुसलाधार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त