सबसे ज्यादा क्राइम ओटोपी स्कैम और केवाईसी के मामलों में, इलेक्ट्रिक बिल और ऑनलाइन गेम से जुड़े फ्राड के मामले भी बढ़े
धनबाद : देश में साइबर क्राइम का खतरा बढ़ता जा रहा है और नवीनतम आंकड़ों के अनुसार झारखंड के जामताड़ा जिले ने देशभर में साइबर क्राइम के हब के रूप में अपनी पहचान बनाई थी। लेकिन अब राजस्थान के भरतपुर और उत्तर प्रदेश के मथुरा नए साइबर क्राइम हब के रूप में उभर रहे हैं।
झारखंड में बढ़ते साइबर अपराध:
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के एक स्टार्टअप द्वारा अपने शोध पर यह जानकारी सामने आया है कि देश के 10 जिले ऐसे हैं जहां से 80 प्रतिशत साइबर अपराधों को अंजाम दिया जाता है। इनमें सबसे ज्यादा क्राइम राजस्थान के भरतपुर से 18 फीसदी, मथुरा से 12 फीसदी, हरियाणा के नूंह से 11 फीसदी, और झारखंड के देवघर से 10 प्रतिशत, बोकारो से 2.4 प्रतिशत, जामताड़ा में 9.6 प्रतिशत , और गिरिडीह से 2.3 प्रतिशत साइबर अपराध हो रहे हैं। इस रिपोर्ट में विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि झारखंड के चार जिले भी इस लिस्ट में शामिल हैं, जैसे कि बोकारो, जामताड़ा, देवघर, और गिरिडीह।
*आंकड़ों से समझें हालात:*
झारखंड में साइबर अपराध के मामले पिछले साढ़े चार साल में (2019 से लेकर जुलाई 2023 तक) 5350 मामले हो चुके हैं, जिनमें से 1432 मामले सिर्फ रांची जिले में हुए हैं। इसके अलावा, धनबाद में 496, देवघर में 405, जमशेदपुर में 384, और हजारीबाग में 348 मामले दर्ज हो चुके हैं। यह साइबर अपराध में कई ऐसे मामलेभी हैं जिनका कभी दर्ज नहीं हुआ था।
*राज्य की कौन-कौन सी जगहों में बढ़ा साइबर अपराध का खतरा:*
नवीनतम रिपोर्ट में जिन जगहों को साइबर क्राइम हब के रूप में पहचाना गया है, उनमें लातेहार, धनबाद, संताल परगना, हजारीबाग, खूंटी, नारायणपुर, और रांची शामिल हैं। इन जगहों पर सबसे ज्यादा क्राइम ओटोपी स्कैम और केवाईसी के मामलों में हो रहा है। साइबर अपराधी इलेक्ट्रिक बिल और ऑनलाइन गेम से जुड़े फ्राड के मामलों में भी बढ़ रहे हैं।
साइबर अपराध के बढ़ते मामले को देखते हुए झारखंड पुलिस मुख्यालय ने गृह विभाग को अन्य जिलों में भी साइबर थाने को लेकर प्रस्ताव भेजा था। मुख्य सचिव सुखदेव सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद सहमति मिल गयी है। इस फैसले से संभव है कि अब झारखंड में बढ़ते साइबर अपराध पर नियंत्रण रखा जा सके।
इस शोध में बढ़ते साइबर अपराध के पीछे की कुछ वजहें शामिल हैं, जैसे कि स्थानीय आबादी के बीच सीमित डिजिटल साक्षरता और जागरूकता की कमी, तकनीकी ज्ञान की कमी, और साइबर सुरक्षा की जरूरत की कमी। साइबर अपराधों के खिलाफ सजाग रहने और सुरक्षित रहने के लिए जागरूकता को बढ़ाना और साइबर सुरक्षा के मामले में सशक्तिकरण करना आवश्यक है।
*मोबाइल का आईएमईआई व सिम लॉक कराएगी पुलिस*
झारखंड में साइबर अपराध रोकने के लिए पुलिस ने बड़ा कदम उठाया है. सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने सभी जोन के डीआईजी के साथ साइबर अपराध पर बीते दिनों समीक्षा की थी.
इसके बाद उन्होंने आदेश जारी किया है कि जिलों में साइबर अपराध के दर्ज मामलों के बाद जिन मोबाइल फोन व सिम कार्ड के जरिए ठगी की गई है, उनके आईएमईआर नंबर व सिम को लॉक कराया जाएगा.
डीजी सीआईडी के आदेश के बाद अबतक राज्य भर में 500 से अधिक मोबाइल के आईएमईआर व 6000 से अधिक सिम लॉक कराए जा चुके हैं. आईएमईआर के लॉक होने से एक मोबाइल का इस्तेमाल दूसरी बार नहीं किया जा सकेगा.
सीआरपीसी 102 के तहत फ्रिज करने का आदेश राज्य में साइबर थानों व जिलों में साइबर अपराध के दर्ज मामलों में बैंक खातों को फ्रिज करने का भी निर्देश सीआईडी डीजी ने दिया है. 1930 नंबर पर शिकायत के बाद भी खातों में पैसे फ्रिज करने की कार्रवाई की जाती है. लेकिन केस अनुसंधान में आए तथ्यों के आधार पर सीआरपीसी 102 की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए खाते में जमा पैसा फ्रिज करने का निर्देश दिया गया है.
वहीं राज्य में साइबर अपराध के मामले मे जामताड़ा रीजन व मेवात-नूह रीजन की धरती का इस्तेमाल हो रहा है.
साइबर अपराध के दर्ज मामलों की अनुसंधान व समीक्षा के दौरान यह तथ्य सामने आया है कि झारखंड में साइबर ठगी के अधिकांश मामले जामताड़ा, देवघर, गिरिडीह के इलाके के साथ-साथ हरियाणा के मेवात व नूह रीजन से सामने आ रहे हैं.
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