मोरहाबादी मैदान में 16 जुलाई को रोजगार मेला के आयोजन में नियुक्ति पत्र सौंपा जाएगा. श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग द्वारा विभिन्न जिलों में आयोजित भर्ती कैंप के माध्यम से युवाओं का चयन किया गया है. माना जा रहा है कि यह ऐतिहासिक क्षण होगा जब एक साथ 10 हजार लोगों को नियुक्ति पत्र सौंपा जाएगा. बताया जा रहा है कि श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग, उद्योग विभाग, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग तथा अन्य विभागों के कुल 10,000 नियुक्ति पत्र वितरण किए जाएंगे. मोरहाबादी में होने वाले राज्यस्तरीय कार्यक्रम को लेकर रांची जिला प्रशासन ने भी तैयारी तेज कर दी है. रोजगार मेले में राज्य भर से 10,000 से अधिक लोगों के जुटने की उम्मीद है. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित कई विभाग के मंत्री और सचिव भी रहेंगे. ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रहेगी. कार्यक्रम को लेकर रांची डीसी राहुल कुमार सिन्हा ने समाहरणालय में पदाधिकारियों के साथ बैठक की. तैयारियों के संबंध में जानकारी ली. कार्यक्रम को लेकर कोषांग का गठन किया गया. सभी को निर्देश दिया गया कि समय पर सभी पदाधिकारी-कर्मी अपने-अपने जिम्मे का काम करें. समीक्षा बैठक के दौरान रांची नगर निगम, पुलिस और अग्निशमन विभाग के भी अधिकारी उपस्थित थे.
सूची कल तक होगी फाइनलाइज
डीसी राहुल सिन्हा ने बताया कि पूरे राज्य से जिलावार सूची प्राप्त की जा रही है. वह सूची कल तक फाइनलाइज हो जाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन व जितने भी विभाग हैं सभी आपस में मिलकर काम को कर रहे हैं. गठित कोषांग के पदाधिकारियों के द्वारा कार्यक्रम स्थल का मुआयना भी किया जा रहा है.
निजी क्षेत्र में 75 फीसदी आरक्षण से जुड़ी नियुक्ति
श्रम नियोजन मंत्री सत्यानंद भोक्ता के अनुसार निजी क्षेत्र में 75 फिसदी आरक्षण से जुड़ी हुई ये नियुक्तियां हैं. इसकी मॉनिटरिंग हर जिले में उपायुक्त और स्थानीय विधायक करेंगे. ताकि, नियुक्त होने वाले अभ्यर्थियों को निजी कंपनी किसी तरह से परेशान न करे. मालूम हो कि झारखंड विधानसभा से निजी क्षेत्रों में ‘स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन विधेयक 2021 पारित हो गया है. प्रवर समिति की रिपोर्ट के आधार पर इसमें संशोधन करते हुये निजी क्षेत्रों में 40 हजार रुपये तक वेतन वाले 75 प्रतिशत पदों पर स्थानीय को आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है. नियोक्ता द्वारा नियमों का उल्लंघन करने की स्थिति में पांच लाख रुपये तक दंड लगाया जा सकता है. जानकारी के अनुसार राजभवन की स्वीकृति के बाद अब इसकी नियमावली बन रही है.
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