धनबाद :गुरुवार को मासस केंद्रीय कार्यालय टेंपल रोड, पुराना बाजार में मासस के संस्थापक सह पूर्व सांसद कामरेड ए. के. राय की तृतीय पुण्यतिथि पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि मासस महासचिव केंद्रीय महासचिव हलधर महतो ने कहा कि भारत में दलित क्रांति ही मार्क्सवाद का व्यवहारिक क्रांतिकारी लाइन है। इसी मार्ग पर चलकर यहां समाजवाद और समतामूलक समाज की रचना की जा सकती है। नई आर्थिक औद्योगिक नीति गेट समझौता के माध्यम से भारत को कोर्पोरेट कंपनियों ने गुलाम बना रखा है। इसी नई गुलामी से मुक्ति का रास्ता मार्क्सवाद के भारतीय करण बिरसा से लेनिन के रास्ते ही निकल सकती है। मासस केंद्रीय सचिव हरिप्रसाद पप्पू ने कहा कि भारत की परिस्थिति में वर्ग संघर्ष के साथ-साथ वर्ण संघर्ष अति आवश्यक है। जातीय और वर्गीय शोषण से मुक्ति के लिए दलित, वंचित और सर्वहारा वर्ग को एक मंच पर आकर क्रांति का रास्ता अपनाना चाहिए। मासस जिला अध्यक्ष बिंदा पासवान ने कहा कि समाज का पिछड़ा दलित और मेहनतकश के ऊपर कॉरपोरेटिव गुलामी का सीधा असर दिखाई पड़ता है। लोक उपक्रमों का निजीकरण, रोजगार की अनदेखी महंगाई की कमर तोड़ बढ़ोतरी ने आम जनों की जिंदगी को तबाह कर दिया है। इसके विरोध में सामूहिक संघर्ष और इंकलाब जनता की मजबूरी है। सेमिनार में मुख्य रूप से केंद्रीय सचिव दिल मोहम्मद, सुभाष चटर्जी, सुभाष प्रसाद सिंह, जिला सचिव दिलीप कुमार महतो, मायुमो जिलाध्यक्ष पवन महतो, आनंदमई पाल ,भगत राम महतो, नरेश पासवान, राणा चटराज ,अरविंद तिवारी, विश्वजीत राय, भूषण महतो, बुटन सिंह, विजय पासवान, गोपाल रवानी, भोला चौहान, लाली सिंह ,भगवान पासवान,अखिलेश महतो,चौधरी भुईया, औरंगजेब खान, राजेश बिरूआ ,हरेंद्र निषाद, शिव बालक पासवान ,सुभाष मुर्मू, टूनू गुप्ता, महेंद्र भुईया, दुलाल बाउरी ,भवानी दास, आरके ठाकुर, हरिलाल चौहान, चंदन महतो आदि ने अपना विचार रखा।
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