डाउन सिंड्रोम डे की पूर्व संध्या पर
धनबाद: पहला कदम स्कूल की सचिव अनीता अग्रवाल डाउन सिन्ड्रोम बच्चे कौशल अग्रवाल की माँ है। जिनके जीवन का उद्देश्य ही दिव्यांग बच्चों की सेवा कर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है। अनिता बताती है कि डाउन सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जिसमे बच्चा मानसिक और शारीरिक विकारों से जूझता है तथा इस स्थिति में बच्चों की शारिरिक विकास में देरी, चेहरे की विशेषता में अंतर तथा बौद्धिक विकास में देरी होती है।डाउन सिंड्रोम का मुख्य कारण क्रोमोसोम सम्बंधित विकार है डाउन सिंड्रोम बच्चा अपने गुण सूत्र की एक्स्ट्रा कॉपी के साथ पैदा होता है इसलिए इसे ट्राइसेमी – 2 भी कहते है। डाउन सिंड्रोम बच्चों में विशेष लक्षण जैसे फ्लेट चेहरा, बादाम शेप आंखे, उभरी हुई जीभ, हाथों में गहरी लकीर, सर ,कान तथा उंगली का छोटी तथा चौड़ी होना औऱ कद छोटा होता है। ऐसे बच्चों का जन्म के बाद पूर्ण इलाज़ सम्भव नही है।प्यार प्रशिक्षण और थेरैपी ही इनका इलाज है। अनिता कहती है उन्हें ऐसा वातावरण मिलना चाहिए जिनसे वह सामान्य जिंदगी जीने की कोशिश कर सके।मानसिक एवं बौद्धिक विकास के लिए विशेषज्ञ की मदद लेनी चाहिए। हालांकि डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों को कई परेशानी होती है, लेकिन अभिभावक बच्चों को उत्साहित करे एवं सकारात्मक रवैया रखने से काफी हद तक बच्चों को मदद मिलती है।अनिता अग्रवाल कहती है ऐसे बच्चों को ज्यादा सुरक्षित घेरे में न रखें इससे उनके मानसिक एवम शारीरिक विकास में असर पड़ सकता है परंतु सतर्क रहना जरूरी है अर्थात निगरानी में अवश्य रखे।ऐसे बच्चे मानसिक रोगों के साथ दिल की बीमारी,सांस की बीमारी से भी पीडित होते है।अनिता कहती है कि आज उनका पुत्र कौशल अग्रवाल उनके प्रयत्नो, परिवार के सहयोग एवम जागरूक होने के कारण आज सामान्य बच्चों की तरह काफी हद तक शारीरिक क्रिया कलापो में भाग ले सक रहे है। अंत मे यही कहती है कि कोशिश करने वालो की कभी हार नही होती। जिसका परिणाम आज पहला कदम स्कूल है। जिसमे कौशल जैसे कई बच्चों की माँ बन कर उन्हें राह दिखा रही है साथ ही 18 वर्ष से ऊपर के बच्चों को व्यवसायिक प्रशिक्षण दे कर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने का अथक प्रयास कर रही हैं जो धनबाद के कई इलाकों में दिव्य ज्योति जनरल स्टोर के माध्यम से रोजगार से जुड़ कर परिवार का सहारा बन पा रहे है। पहला कदम के प्रशिक्षण एवं अभिभावकों के सकारात्मक रवैया एवं उत्साह वर्धन के फलस्वरूप कुछ डाउन सिंड्रोम बच्चों का परिचय 1.कौशल अग्रवाल- पहला कदम स्कूल में प्रशिक्षण पाकर मनी एक्सचेंज पूर्ण रूप से सिख गया तथा पहला कदम स्कूल की तरफ से स्वावलंबन की राह में चलाए जा रहे दिव्य ज्योति जनरल स्टोर में सुपर विज़न का कार्य बखूबी निभा पा रहे है। कौशल स्पोर्ट्स में भी कई अवार्ड प्राप्त कर चुके है। कौशल अपनी रुचि से फोटोग्राफी में भी काफी उत्साह पूर्वक अपनी भूमिका निभा रहे है।2.अंशिका कुमारी -: पहला कदम स्कूल कि डाउन सिंड्रोम छात्रा अंशिका पहले खुद से कुछ भी खा पी नही सकती थी । प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा ट्रेनिंग पा कर फ़ाईन मोटर स्किल डेवलपमेंट कराया गया। अब अंशिका चम्मच से पानी तथा खाना खाने का कार्य सफलता पूर्वक करने के साथ ड्राइंग भी अच्छी तरह करने लगी है। 3.ऋषिकेश चटर्जी: पहला कदम स्कूल के डाउन सिंड्रोम छात्र ऋषिकेश प्रशिक्षण के बाद हारमोनियम बजाने के साथ साथ संगीत के क्षेत्र में भी काफी बेहतर प्रस्तुति दे पा रहे है। वे अब स्टोरी लिखने में भी अपनी रुचि दिखा रहे है।4.समीर उपाध्याय: समीर उपाध्याय जो कि पहला कदम स्कूल का डाउन सिंड्रोम छात्र है का जब नामांकन कराया गया तब वह सामाजिक रुप से लोगो के बीच रहना पसंद नही करते थे। प्रशिक्षण के बाद लोगों के साथ अपने ग्रुप के लोगो के साथ बात करने के साथ स्पोर्ट्स, म्यूज़िक डांस एवम एक्ट में उत्साह के साथ भाग लेने लगे है। अपने पुत्र समीर में आये परिवर्तन को देख उनके अभिभावक काफी प्रसन्न है।
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