आजाद दुनिया न्यूज
रांचीः राजधानी रांची के सुशांत कुमार सिंह ने अंगदान करते हुए चार लोगों को नई जिंदगी दी है. उन्होंने अपने सभी अंगो और टिश्यू का दान किया और चार परिवारों को जीवन का अमूल्य उपहार देकर उनके बीच खुशियों की बौछार की. दरअसल, सुशांत की मौत ब्रेन हेमरेज के कारण हुई थी. और दुनिया से जाते-जाते उन्होंने अपनी अंगों को दान कर दिया. सुशांत के परिवार ने अपने साहसिक फैसले और उसके अंगों को दान करने की एक अनूठी मिशाल लोगों के सामने पेश की है.
30 वर्षीय सुशांत कुमार सिंह अपने नेत्र के ऊतक भी दान कर चुके थे. उनके इस पुनीत कार्य से 4 लोगों की जिंदगियां बचाई गई हैं. अंग ट्रांसप्लांट से जिन चार लोगों को नई जिंदगी मिली है उनमें एक नाबालिग, 50 साल की दो महिलाएं और एक 40 वर्ष का व्यक्ति शामिल है. सुशांत के पिता सुरेंद्र कुमार सिंह बोकारो स्टील प्लांट से रिटायर्ड हैं और वर्तमान में अब वे रांची में निवास करते हैं
लंदन में हुई थी सुशांत की मौत
जानकारी देते हुए सुशांत के पिता ने बताया कि सुशांत BIT Mesra से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी और अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह लंदन में फेसबुक में कार्यरत थे. और लंदन में रहते हुए ही सुशांत की ब्रेन हेमरेज से मौत हो गई थी. सुशांत की मौत के बाद परिवार के लोगों ने उसके सभी अंगों को दान करने की इच्छा जाहिर की. ताकि इससे कई लोगों को नया जीवन मिले साथ ही उन्हें यह लगे कि बेटे का अंग आज भी किसी को जीवन दे रहा है.
अलर्ट जानें किन चार लोगों को मिली नई जिंदगी
लंदन के ऑर्गन और टिश्यू डोनेशन और ट्रांसप्लांटेशन टीम के आधिकारिक पत्र के अनुसार सुशांत के पिता को बताया गया है कि सुशांत के अंगों के ट्रांसप्लांट से चार लोगों को जीवन दान मिला है. सुशांत के निस्वार्थ उदारता के कार्य के परिणामस्वरूप, चार लोगों को अंग ट्रांसप्लांट किया गया है. जिनमें 50 साल की एक महिला को ट्रांसप्लांट प्रतीक्षा सूची में सिर्फ दो महीने के बाद हृदय ट्रांसप्लांट किया गया. एक अन्य दूसरी 50 साल की एक महिला को सुशांत का एक जीवनरक्षक यकृत ट्रांसप्लांट किया गया. वहीं करीब 3 साल से अधिक समय तक ट्रांसप्लांट की प्रतीक्षा सूची में रहने के बाद एक नाबालिग को सुशांत का किडनी ट्रांसप्लांट कर उसे नया जीवन मिला. इसके अलावे एक 40 साल के व्यक्ति को सुशांत के दो अंगों का ट्रांसप्लांट किया गया वह व्यक्ति भी ट्रांसप्लांट की सूची में थे और उन्हें करीब छह सालों तक प्रतीक्षा सूची में रहने के बाद एक किडनी और एक अग्न्याशय ट्रांसप्लांट किया गया.
सुशांत के परिवार वालों ने सुशांत के अंगदान ट्रांसप्लांट कर कई लोगों को नई जिंदगी दी है. उनके इस जीवनदान से चार के परिवार में खुशियां लौट आई है. अपने अंगदान से सुशांत अपने मौत के बाद भी लोगों के लिए स्मरणीय उदाहरण हैं. भारत में लोग काफी कम अंगदान करते है यहां अंगदान को लेकर जागरुकता की काफी कमी है. कई ऐसे लोग भी है जो अंगदान को धर्म के खिलाफ मानते है हालांकि कई सालों से अंगदान करने की यह अनूठी पहल लोगों में जागरुकता ला रही है.
दिलीप पाण्डेय की रिर्पोट
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