Posted by Dilip Pandey
धनबाद: वर्तमान में विश्व का वातावरण ग्लोबल वार्मिंग के कारण दूषित होता जा रहा है।प्रदूषण की समस्या से आज विश्व परेशान है। वायुमंडल में लगातार बढ़ते प्रदूषण ने पृथ्वी का अस्तित्व संकट में है। लगातार हो रहे हैं जल प्रदूषण,वायु प्रदूषण, उद्योगिकीकरण, वाहनों की बढ़ती संख्या से पर्यावरण को चौतरफा नुकसान पहुंच रहा है। इसका असर अब मानव जीवन और जीव जंतुओ पर भी स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है। एक और जहां मानव जीवन की औसत
आयु घटती जा रही है, वही जीव जंतु लुप्त होते जा रहे हैं। ऐसे में आज राष्ट्रीय स्तर पर जोरदार पर्यावरण संरक्षण आंदोलन की जरूरत महत्वपूर्ण है,तभी पर्यावरण की रक्षा होगी, और मानव जीवन तथा जीव जंतुओं का अस्तित्व बच पाएगा।
पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को रोकने के लिए 51वर्ष पूर्व संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व स्तर पर एक गंभीर पहल की थी 15 दिसंबर 1972 को हुई बैठक में विश्व के अनेक पर्यावरण बिंदों ने चिंता जताते हुए पर्यावरण संरक्षण के लिए 5 जून को अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस मनाने का संकल्प लिया और अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने पर जोर दिया।अपने देश में सदियों से पर्यावरण की रक्षा के लिए लोग सक्रिय रहे हैं यहां पेड़ पौधे को भगवान मानकर पूजा करने की भी परंपरा है,जो यह आज भी जारी है।आदिवासी बहुल क्षेत्रों ग्रामीण क्षेत्रों के अलावे शहरी इलाके में आज जो भी जंगल,पेड़,पौधे हैं उनमें इनका महत्वपूर्ण योगदान है।
28 अगस्त को पर्यावरण रक्षा आंदोलन में अपने देश के लोगों ने जो बलिदान दिए वह और कहीं देखने को नहीं मिलता है। राजस्थान के जोधपुर स्थित खेजड़ली गांव में पर्यावरण की रक्षा के लिए 28 अगस्त 1730 को भाद्र शुक्ल पक्ष सवंत 1787 को वीरांगना अमृता देवी के नेतृत्व में सैकड़ो लोगों ने पेड़ की कटाई रोकने के लिए उसमें चिपक गए। बावजूद इसके तत्कालिन राजा अजीत सिंह के आदेश अनुसार उनके सिपाहियों ने 363 लोगों जिनमे 69 महिलाएं थी पेड़ों सहित काट गिराया। विश्व के किसी भी देश में वृक्षों की रक्षा के लिए इतना बड़ा बलिदान आज तक नहीं हुआ है।भारत में ही नहीं बल्कि विश्व का नंबर एक श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ ने इस पर्यावरण रक्षा आंदोलन से प्रेरणा लेकर 28 अगस्त को पूरे देश में राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस मनाता आ रहा है।भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है आजादी के बाद आंदोलन और देश की संस्कृति को लेकर राष्ट्रीय चिन्ह,राष्ट्रीय दिवस, राष्ट्रीय पंछी ,राष्ट्रीय पुष्प,राष्ट्रीय गीत ,राष्ट्रीय गान आदि है। परंतु आज भी अधिकांशत पर्यावरण दिवस को अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस 5 जून को मानते हैं लेकिन राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस नहीं मानते हैं जो अरबो भारतीयों के लिए अपमान से कम नहीं है।
भारतीय मजदूर संघ वर्षो से अपने देश की अस्मिता से जुड़े पर्यावरण रक्षा आंदोलन 28 अगस्त को राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के रूप में घोषित करने की मांग केंद्र सरकार से करता आ रहा है,ऐसे में अगर राष्ट्रीय गीत,राष्ट्रीय गान, राष्ट्रीय पशु, राष्ट्रीय पक्षी, की तरह राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस भी हो जाए तो हम भारतीयों का सिर गौरव से ऊंचा हो जाएगा।भारतीय मजदूर संघ स्थापना काल से ही 28 अगस्त के दिन पर्यावरण संरक्षण दिवस मनाता आ रहा है 28 अगस्त के दिन संगोष्ठी, बैठक, वृक्षारोपण एवं सेमिनार जगह जगह पर आयोजित किए जाएंगे।
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