Posted by Dilip pandey
नयी दिल्ली : संघ लोक सेवा आयोग के टॉपर्स की जाति जांचने का तो इंटरनेट पर महा-अभियान ही चल रहा है। टॉप 10 में शामिल चारों लड़कियों की जाति जानने की जैसे छटपटाहट हो, इस तरह google search कर रहे हैं यूजर।
UPSC Result : Caste of UPSC topper from Bihar, IAS ishita kishore and Ias Garima Lohia Caste
इशिता ऑल इंडिया रैंकिंग में पहले नंबर और गरिमा दूसरे नंबर पर हैं।
बिहार में जाति आधारित जनगणना पर हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है। कोर्ट का कहना है कि सरकार जिसे जाति आधारित सर्वे बता रही, जबकि उसकी मंशा हर नागरिक की जाति जानने की लगती है। हाईकोर्ट ने जाति के आधार पर जन की गणना का काम तो रुकवा दिया है, लेकिन इंटरनेट पर जाति जांच को कौन रोक सकता है! संघ लोक सेवा आयोग के टॉपर्स की जाति जांचने का तो इंटरनेट पर महा-अभियान ही चल रहा है। टॉप 10 में शामिल चारों लड़कियों की जाति जानने की जैसे छटपटाहट हो, इस तरह गूगल पर सर्च कर रहे हैं यूजर।
रिजल्ट के दो दिन बाद की ट्रेंडिंग देखिए
गूगल पर ट्रेंड बता रहा है कि रिजल्ट आने के अगले दिन, यानी बुधवार से टॉपर्स की जाति जानने वाले यूजर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ‘अमर उजाला’ ने दोनों बिहारी महिला टॉपर्स के नाम का पहला अक्षर डालकर जानना चाहा कि ट्रेंड क्या चल रहा है तो 10 सबसे ज्यादा खोजे गए की-वर्ड Uma Harathi Caste Category, Uma Harathi n caste, Ishita Kishore Caste Category, Uma Harathi UPSC Biography, Garima Chaurasia age, Uma Harathi Caste, Garima Lohia Caste Category, Kishore Caste, Ishita Kishore Caste, Ishita Kishore Category मिले।
इशिता किशोर और गरिमा लोहिया की मां का संघर्ष मायने रखता है
टाइटल की अस्पष्टता के कारण यह सर्च
चारों टॉपर्स भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी बनकर देश की सेवा करने वाली हैं, लेकिन इनकी जाति जानने की छटपटाहट इंटरनेट पर साफ दिख रही है। इशिता किशोर और गरिमा लोहिया बिहार से हैं। उमा हरथी तेलंगाना और स्मृति मिश्रा उत्तर प्रदेश से। टॉपर्स सूची में क्रमश: रहीं इन चारों युवतियों में स्मृति मिश्रा के टाइटल से स्पष्टता है। स्मृृति की उम्र जानने की चाहत ज्यादा है। शेष तीनों के लिए इंटरनेट यूजर में जाति जानने की चाहत बहुत ज्यादा है, क्योंकि इनके नाम में जाति आधारित टाइटल नहीं है। लोहिया टाइटल को लेकर भी संशय है और किशोर तो कोई जातिगत टाइटल है ही नही।
सोशल मीडिया पर जाति देखकर दी जा रही है बधाइयां
मंगलवार को यूपीएससी रिजल्ट जारी होने के कुछ घंटे बाद से ही इंटरनेट पर इन चारों की जाति जानने की होड़ लग गई। कुछ अंदाजन और कुछ सतही जानकारी के आधार पर इनकी जातियों को लेकर सोशल मीडिया पर लिखने लगे। जाति आधारित संगठन के साथ ही व्यक्तिगत पोस्ट भी आने लगे। चाणक्य स्कूल ऑफ पॉलिटिकल राइट्स एंड रिसर्च के अध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा कहते हैं- “बिहार में सरकार जाति आधारित जनगणना करा रही थी, इसलिए बिहारियों में या किसी बिहारी को लेकर अगर इस तरह की छटपटाहट हो तो अजूबा नहीं है। हद यह है कि सोशल मीडिया पर इशिता को आदिवासी परंपरा के पैटर्न वाली साड़ी के वीडियो में देखकर कुछ लोगों ने उसे आदिवासी तो कुछ ने पिछड़ा घोषित कर बधाई दी। एक लड़की, एक बिहारी, एक भारतीय की उपलब्धि से ज्यादा जातिगत बधाई की परंपरा को देखकर लगता है कि जातिगत जनगणना करा रही या ऐसी तैयारी कर रही सरकारें लोगों की नब्ज समझती हैं।”
ज्यादा जरूरी है इनके संघर्ष को जानना
बिहार की दोनों लड़कियों की जाति जानने से ज्यादा जरूरत तो इनके संघर्ष को जानने की है। इशिता के पिता वायुसेना में थे। काफी पहले गुजर चुके हैं। इशिता की मां पटना छोड़कर नोएडा में रह रहीं, ताकि बच्चे बन सकें। पिता के अरमानों को पूरा कर सकें। यह अरमान पूरा हुआ है। ‘अमर उजाला’ इशिता की मेहनत से साथ उनकी मां ज्योति किशोर के संघर्ष को सलाम करता है। दूसरा नाम हैं गरिमा लोहिया। गरिमा के पिता की भी 2015 में बीमारी से मौत हो गई। ‘अमर उजाला’ ने बातचीत में दौरान समझा कि गरिमा की मेहनत में उनकी मां सुनीता लोहिया के संघर्ष का बहुत बड़ा योगदान है। आज वह बेटी की उपलब्धि से खुश हैं तो पति को याद करते हुए उनका गला रुंध जा रहा है।
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