पर्यटन कार्य समूह की तीसरी बैठक के संक्षिप्त कार्यक्रमों में उच्च गुणवत्ता वाली चर्चा की गई: पर्यटन सचिव श्री अरविंद सिंह
Posted Date:- May 28; 2023
Posted by Dilip pandey
भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर में 22 से 24 मई, 2023 तक जी20 पर्यटन कार्य समूह की तीसरी बैठक को सफलतापूर्वक आयोजन किया।
पर्यटन मंत्रालय के सचिव श्री अरविंद सिंह ने जी20 पर्यटन कार्य समूह की तीसरी बैठक की दो प्रमुख प्रदेयों (डिलिवरेबल्स) पर आज नई दिल्ली में प्रेस वार्ता की। उन्होंने बताया कि जी20 के सभी सदस्य 26 मई, 2023 तक लिखित रूप में अपने सुझाव देंगे, जो यूएनडब्ल्यूटीओ के परामर्श से तैयार किए गए रोडमैप के अंतिम प्रारूप का हिस्सा होगा। इसे जून में गोवा में आयोजित होने वाली पर्यटन कार्य समूह की चौथी बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा। इसके बाद मंत्रिस्तरीय बैठक में पर्यटन घोषणा की जाएगी।
सचिव ने पर्यटन कार्य समूह की तीसरी बैठक के बारे में बताया कि इस दौरान कई सफल संक्षिप्त कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रतिनिधि व विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और काफी गुणवत्तापूर्ण चर्चा हुई। इस दौरान प्रतिनिधियों को स्थानीय कला और हस्तशिल्प भी दिखाए गए और उन्होंने कारीगरों के साथ बातचीत भी की। इसके अलावा प्रतिनिधियों को श्रीनगर के दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए भी ले जाया गया, जहां उन्होंने पुराना मुगल गार्डन, परी महल और स्मार्ट सिटी मिशन के तहत पुनर्निर्मित पोलो व्यू मार्केट देखा। राज्य सरकार के सहयोग से प्रतिनिधियों के लिए सांस्कृतिक संध्याओं का भी आयोजन किया गया। सचिव ने बताया कि राज्य सरकार के सहयोग से प्रतिनिधियों के लिए सांस्कृतिक संध्याओं का भी आयोजन किया गया।
भारत के जी20 पर्यटन ट्रैक के तहत पर्यटन कार्य समूह पांच अंतर-संबंधित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर काम कर रहा है। ये हैं- हरित पर्यटन, डिजिटलीकरण, कौशल, पर्यटन एमएसएमई और गंतव्य प्रबंधन। ये प्राथमिकताएं पर्यटन क्षेत्र में परिवर्तन को गति देने और एसडीजी- 2030 के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रमुख आधार हैं। पर्यटन कार्य समूह के दो प्रमुख प्रदेय (डिलिवरेबल्स) हैं- सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने को लेकर एक साधन के रूप में पर्यटन के लिए गोवा रोडमैप और जी-20 पर्यटन मंत्रियों की घोषणा।
पर्यटन मंत्रालय ने कार्य समूह के दो प्रमुख प्रदेयों को अंतिम रूप देने में सकारात्मक प्रगति की है। इस बैठक के दौरान जी20 के सदस्य देशों, आमंत्रित देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इन दो प्रारूप दस्तावेजों पर बहुमूल्य जानकारी व प्रतिक्रिया दी। जी20 सदस्य देशों के साथ इन प्रारूपों पर विचार-विमर्श के बाद अंतिम संस्करण को पर्यटन कार्य समूह की चौथी बैठक और मंत्रिस्तरीय बैठक में रखा जाएगा।
फिल्म पर्यटन को बढ़ावा देने की रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए 22 मई, 2023 को ‘आर्थिक विकास और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए फिल्म पर्यटन’ पर एक संक्षिप्त कार्यक्रम आयोजित किया गया। भारत सरकार के जी20 शेरपा श्री अमिताभ कांत ने इस कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पर्यटन स्थल के रूप में जम्मू और कश्मीर के विकसित होने की संभावना है, जो रोजगार सृजन को बढ़ावा देगी। उन्होंने इसका उल्लेख किया कि कैसे इस स्थल ने भारत की कुछ यादगार फिल्मों जैसे कि, कश्मीर की कली, लक्ष्य, हैदर और कई अन्य के निर्माण में एक आदर्श परिदृश्य के रूप में काम किया है।
वहीं, भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने संबोधन में श्रीनगर में फिल्मांकित की गई प्रतिष्ठित फिल्मों के बारे बताया। उन्होंने रेखांकित किया कि भारत की फिल्मों में कई भावनाओं को उत्पन्न करने के लिए जम्मू और कश्मीर की प्राकृतिक सुंदरता का उपयोग किया गया है।
भारत सरकार के पर्यटन, संस्कृति और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने जी20 प्रतिनिधियों का स्वागत व कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने भारत की विविध सुंदरता और संस्कृति को रेखांकित किया, जो फिल्म निर्माण के लिए इसे एक आदर्श स्थल बनाता है। उन्होंने इसका उल्लेख किया कि फिल्में देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मजबूत प्रभाव उत्पन्न करती हैं। रचनात्मक उद्योग में फिल्म निर्माताओं द्वारा जम्मू और कश्मीर की क्षमता हमेशा दिखाई गई है, जिसने कई पर्यटकों को इसकी ओर आकर्षित किया। उन्होंने इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जी20 प्रतिनिधियों का आभार व्यक्त किया और ज्ञान व सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित किया।
प्रसिद्ध अभिनेता, निर्माता और उद्यमी राम चरण ने अपनी उपस्थिति से इस कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। उन्होंने फिल्म ध्रुव के लिए जम्मू और कश्मीर में शूटिंग के अपने दिनों को याद किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि फिल्मांकन को लेकर अब तक स्थल को एक्सप्लोर नहीं किया गया है, इसके लिए नए स्थलों को खोजे जाने के कार्य को जिम्मेदारी से पूरा करने की जरूरत है। स्थल की सुंदरता को बनाए रखने के लिए स्थानीय वातावरण, वन्य जीवन और संस्कृति के संरक्षण को ध्यान में रखा जाना चाहिए। उन्होंने वास्तविक संस्कृति और भारत के गुप्त स्थलों के बारे में जनता को शिक्षित करने के लिए स्थानों पर फिल्मों के विशाल प्रभाव को लेकर विचार-विमर्श किया।
इस कार्यक्रम में ‘फिल्म पर्यटन पर राष्ट्रीय रणनीति’ के प्रारूप का विमोचन किया गया, जो पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने में फिल्मों की भूमिका का उपयोग करने के लिए एक रोडमैप प्रदान करेगा। इसके बाद जी20 देशों- स्पेन, सिंगापुर, मॉरीशस, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और भारत के साथ एक पैनल चर्चा हुई। इस पैनल ने आर्थिक लाभ के लिए फिल्म पर्यटन के प्रभाव और वैश्विक स्तर पर स्थल को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका पर विचार-विमर्श किया। इसके बाद जम्मू और कश्मीर के पर्यटन सचिव श्री सैयद आबिद रशीद शाह ने फिल्म पर्यटन के लिए विविध स्थल व अनुभव प्रदान करने वाले एक पर्यटन केंद्र के रूप में जम्मू और कश्मीर के स्थानीय परिप्रेक्ष्य पर एक प्रस्तुति दी। इस कार्यक्रम का समापन पर्यटन मंत्रालय के सचिव श्री अरविंद सिंह ने अपने संबोधन के साथ किया। उन्होंने रेखांकित किया कि पर्यटन मंत्रालय देश में फिल्म पर्यटन को बढ़ावा देने और उसे विकसित करने के कार्य को आगे बढ़ाएगा। उन्होंने इन प्रयासों की सराहना की और पर्यटन कार्य समूह की तीसरी बैठक के तहत आयोजित संक्षिप्त कार्यक्रम को एक सफल बनाने के लिए सभी हितधारकों को धन्यवाद दिया।
पर्यटन कार्य समूह की बैठक का दूसरा दिन उद्घाटन सत्र के साथ शुरू हुआ। इस सत्र को केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, जम्मू और कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश के माननीय उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा और जी20 शेरपा श्री अमिताभ कांत ने संबोधित किया।
केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी के रेड्डी ने अपने संबोधन में पिछली दो बैठकों के दौरान पर्यटन कार्य समूह द्वारा की गई महत्वपूर्ण प्रगति को रेखांकित किया। इसके अलावा उन्होंने कहा कि पर्यटन कार्य समूह की पांच प्राथमिकताओं को जी20 सदस्य देशों, आमंत्रित देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने अपना पूरा समर्थन दिया है। मंत्री ने आगे बताया कि यह कार्य समूह परिणाम दस्तावेज- सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक साधन के रूप में पर्यटन के लिए गोवा रोडमैप और मंत्रियों की घोषणा को अंतिम रूप देने के नजदीक है। ये दोनों भारत के जी20 पर्यटन ट्रैक के दो प्रमुख प्रदेय हैं।
वहीं, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने संबोधन में जम्मू और कश्मीर की विशाल पर्यटन क्षमता व विभिन्न प्रकार के परिदृश्य, कला, संस्कृति, हस्तशिल्प आदि की जानकारी दी। इसके अलावा उन्होंने केंद्रशासित प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बनाए गए अद्वितीय बुनियादी ढांचे को भी रेखांकित किया। डॉ. सिंह ने पर्यटन कार्य समूह की पांच प्राथमिकताओं का भी उल्लेख किया। उन्होंने यह आशा व्यक्त की कि इस क्षेत्र और इसके हितधारकों के लिए गोवा रोडमैप एक मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में कार्य करेगा।
जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा ने भी इस उद्घाटन सत्र की शोभा बढ़ाई। उन्होंने अपने संबोधन में केंद्रशासित प्रदेश में इस तरह के वैश्विक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए पर्यटन मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने प्रतिनिधियों को क्षेत्र की विविध और सुंदर स्थलाकृति के बारे में जानकारी दी। इसके अलावा श्री सिन्हा ने स्थानीय समुदायों के विकास के लिए पर्यटन के महत्व पर जोर दिया।
टीडब्ल्यूजी की तीसरी बैठक का पहला सत्र पर्यटन सचिव के संबोधन के साथ शुरू हुआ। उन्होंने इसकी अध्यक्षता भी की। इस सत्र में सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक साधन के रूप में पर्यटन के लिए गोवा रोडमैप के दूसरे प्रारूप पर चर्चा भी शामिल थी। इस दस्तावेज को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) की सहायता से भारत सरकार का पर्यटन मंत्रालय तैयार कर रहा है। दोपहर में आयोजित दूसरे सत्र के दौरान जी20 अध्यक्ष भारत ने मंत्री की घोषणाओं को प्रस्तुत किया। जी20 देशों के प्रतिनिधियों, आमंत्रित देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भारत की अध्यक्षता में जी20 टीडब्ल्यूजी बैठक के प्रमुख प्रदेय- गोवा रोडमैप व मंत्रियों की घोषणा, दोनों दस्तावेजों पर अपनी जानकारियों को साझा किया।
इस बैठक का समापन करते हुए अध्यक्ष (भारत) ने पांच प्राथमिकताओं का समर्थन करने और बैठक के सफलतापूर्वक संचालन के लिए सभी जी20 सदस्य देशों, आमंत्रित राष्ट्रों व अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लिए आभार व्यक्त किया।
दूसरे दिन मुख्य बैठक के अलावा भारतीय राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों, उद्योग हितधारकों, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ व शिक्षाविदों को ‘फिल्म पर्यटन’ और ‘इको टूरिज्म’ पर विचार-विमर्श करने का अवसर प्रदान करने के लिए दो संक्षिप्त कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।
स्थलों को बढ़ावा देने को लेकर फिल्म पर्यटन की ताकत का लाभ उठाने के लिए पहले संक्षिप्त कार्यक्रम “फिल्म पर्यटन के माध्यम से अतुल्य भारत को बढ़ावा देना” का आयोजन किया गया। इस संक्षिप्त कार्यक्रम के दौरान भारत में फिल्म पर्यटन के प्रचार और विकास के लिए पर्यटन मंत्रालय और भारतीय वाणिज्य और उद्योग महासंघ (फिक्की) के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इस दौरान केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी व केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह उपस्थित थे।
इस संक्षिप्त कार्यक्रम ने भारतीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को फिल्म पर्यटन के क्षेत्र में अपनी सफल नीतियों और अभ्यासों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया। जम्मू और कश्मीर, राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के प्रतिनिधियों ने अपने राज्य की फिल्म पर्यटन नीतियों को प्रस्तुत किया। इसके अलावा संक्षिप्त कार्यक्रम में “फिल्म पर्यटन के लिए एक केंद्र के रूप में अतुल्य भारत के लिए अवसर, चुनौतियां और समर्थकारी” विषयवस्तु पर एक पैनल चर्चा आयोजित की गई। इसमें एक फिल्म पर्यटन स्थल के रूप में भारत की सफलता का उल्लेख किया गया और आगे के विकास के अवसरों की पहचान की गई। सततता के सिद्धांतों का अनुपालन करते हुए देश में इको टूरिज्म के विकास के लिए विभिन्न चुनौतियों और अवसरों पर विचार-विमर्श करने के लिए दूसरे संक्षिप्त कार्यक्रम ‘सतत विकास लक्ष्य प्राप्त करने को लेकर एक साधन के रूप में इको टूरिज्म’ का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में ‘लाइफ कार्यक्रम के लिए यात्रा’ की शुरुआत की गई। इस दौरान पर्यटन, संस्कृति और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी किशन रेड्डी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय राज्य मंत्री श्री जितेंद्र सिंह, रक्षा व पर्यटन राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट और जी20 शेरपा श्री अमिताभ कांत उपस्थित थे।
इसमें सम्मानित वक्ताओं और विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर अपनी प्रस्तुति दी और चर्चा की। इनमें पर्यटन वहन क्षमता आकलन अध्ययन, इको टूरिज्म के लिए क्षमता निर्माण के प्रमुख क्षेत्र, इको टूरिज्म उत्पाद और वन्यजीव अभयारण्य के आसपास स्थल विकास आदि शामिल है।
इस संक्षिप्त कार्यक्रम के दौरान भारत में इको टूरिज्म के प्रचार और विकास के लिए पर्यटन मंत्रालय और भारतीय उद्योग परिसंघ के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इस दौरान केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी व केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह उपस्थित थे।
जम्मू और कश्मीर, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के प्रतिनिधियों ने ईको टूरिज्म विकसित करने के लिए अपने सफल अभ्यासों, प्रभावी नीतियों व रणनीतियों, ईको-टूरिज्म के विकास के लिए स्थानीय परिप्रेक्ष्य और मौजूदा हितधारकों के लिए प्रमुख रणनीतियां, उचित इकोटूरिज्म उत्पादों के विकास को प्रस्तुत किया।
श्रीनगर में डल झील के सामने ताज द्वारा विवांता में सभी प्रतिनिधियों और आमंत्रितों के लिए सांस्कृतिक संध्या और रात्रिभोज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
इन प्रतिनिधियों ने प्राचीन ‘डल’ झील पर ‘शिकारा’- एक पारंपरिक गोंडोला प्रकार की हल्की रोइंग नाव की सवारी के साथ सूर्यास्त देखने का आनंद प्राप्त किया। इसके अलावा इन प्रतिनिधियों को निषाद उद्यान, पोलो मार्केट, परी महल जैसे स्थानीय आकर्षणों का अनुभव करने का भी अवसर मिला। इस सत्र के बाद प्रतिनिधियों ने स्थानीय डीआईवाई गतिविधियों में हिस्सा लिया।पर्यटन कार्य समूह की तीसरी बैठक के दौरान प्रतिनिधियों ने राज्य सरकार द्वारा आयोजित कला और शिल्प बाजार का दौरा किया। इसमें स्थानीय हस्तशिल्प, कारीगरों के काम, सामुदायिक भागीदारी के महत्व को प्रदर्शित किया गया था। इसके अलावा प्रतिनिधियों को कला बाजार में डीआईवाई गतिविधियों के माध्यम से ‘व्यावहारिक’ अनुभव भी प्राप्त हुआ। इनमें पेपर मेशी, बसोहली पेंटिंग्स, विलो क्राफ्ट, कढ़ाई, पश्मीना बुनाई और स्थानीय हस्तशिल्प आदि शामिल है। इसके अलावा प्रतिनिधियों ने जीआई टैग वाले स्थानीय हस्तशिल्प उत्पादों की खरीदारी भी की।
पर्यटन मंत्रालय ओडीओपी के प्रतिनिधियों को स्मृति चिन्ह देकर जम्मू और कश्मीर के स्थानीय उत्पादों को भी बढ़ावा दे रहा है।
पेपर मेशी बॉक्स सामान्य विषयवस्तु है, जो कश्मीरी पेपर मेशी उत्पादों, जिसमें फूल, बॉक्स पैटर्न शामिल हैं, पर दिखाई देता है।
पंपोर- श्रीनगर के केसर को ‘भारत की केसर राजधानी’ कहा जाता है।
कावा कप और पीतल का चम्मच – यह युगों से कश्मीर के व्यंजनों का हिस्सा रहा है।
अनंतनाग, शोपियां और कुपवाड़ा से अखरोट- कश्मीर के अखरोट, पूरे भारत में लोकप्रिय हैं और यहां तक कि पूरे विश्व में निर्यात किए जाते हैं।
हर एक पर्यटन कार्य समूह दिवस के अंत में प्रतिनिधियों के लिए एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में विभिन्न संगीत और नृत्य जैसे रऊफ, चकरी, पहाड़ी नृत्य, डोगरी नृत्य, भद्रवाही आदि के रूप में क्षेत्र की सांस्कृतिक समृद्धि का प्रदर्शन किया गया। इन प्रतिनिधियों ने स्थानीय व्यंजन कश्मीरी वाजवान का आनंद लिया।
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