चौपारण(हजारीबाग़) स्वतंत्रता पूर्व से लेकर स्वतंत्रता के बाद भी देश में गरीबी का आलम पसरा हुआ है,गरीबी उन्मूलन के लिए अब तक कई योजनाएं बनी,कई प्रयास हुवे,गरीबी हटाओ चुनावी नारा बना, लेकिन इन सबके बावजूद भी न तो गरीबी गई और न तो गरीबी की स्थिति में सुधार हुवा,विडंबना है कि सोने की चिड़िया के नाम से पहचाने जाने वाले देश का भविष्य गरीबी के कारण भूखा और नंगा दो जून की रोटी के जुगाड में दरदर की ठोकरे खा रहा है,उक्त बाते विश्व गरीबी उन्मूलन दिवस के अवसर पर लोगो के नाम संदेश में सांसद प्रतिनिधि मुकुंद साव ने पत्रकारों को बताया,श्री साव ने कहा कि हकीकत तो यह है कि गरीब घर में पैदा होना अब पाप समझा जाने लगा है,गरीब की जिंदगी बेकार माने जाने लगा है, इसके लिए अगर कोई जिम्मेवार है तो भारत की पूर्ववर्ती सरकार हैं जो गरीबी का नारा लगाकर देश पर लंबे अर्से तक शासन किया लेकिन गरीबी समाप्त नहीं हुई,बहरहाल हम सबको गरीबी समाप्त करने की दिशा में कार्य करना चाहिए,इसके लिए वर्तमान सरकार को चाहिए की हर क्षेत्र में उद्योग धंधे हो,साथ ही लोगो के बीच एक माहौल बनाने की कोशिश की जाए ताकि सीमित संसाधन में भी बढ़िया से जी सके और आगे बढ़ने का प्रयत्न करे,
तुम्हारी जीत से ज्यादा मेरी हार के चर्चे यह कहावत सटीक साबित हुआ
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