एक मा अपने पुत्र को जन्म देने के लिए 9 महीना अपने कोक में सुरक्षित रखते हैं। उसके बाद काफी दर्द और कस्ट सहन कर बेटे को जन्म देती है। बिना खाए पिए मां अपने बेटे को लालन-पालन कर बड़ा करते हैं। यही आशा लेकर जब मां-बाप बूढ़ा होने पर दो वक्त की रोटी मिलेगी। लेकिन जब मा बाप की सेवा की बारी आती है। तो सभी पुत्र भाग खड़ा होता है। दो बक्त की रोटी के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है। इससे दुखदाई और क्या हो सकता है ? ऐसा ही मामला मुकुंदा के एक बुजुर्ग पति पत्नी के पांच बेटे की रहते हुए भी खाने के लिए दर-दर भटक रहे है। जैसे ही सूचना भारतीय जनतंत्र मोर्चा के केंद्रीय महासचिव रमेश पांडे को मिला उन्होंने तुरंत मुकुंदा से बद्री प्रसाद केसरी और पत्नी मंजू को अपने कतरास मोड़ कार्यालय में ले आया। तुरंत दोनों को खाने पीने की व्यवस्था कर टुंडी के लाल मुनी वृद्धा आश्रम में संपर्क किया। जहां आश्रम के अध्यक्ष मोहम्मद नौशाद और सुधीर बरनवाल ने दोनों दंपत्ति को अपने साथ वाहन से ले गया। जाते जाते दोनों बुजुर्ग रमेश पांडे को दोनों हाथों से आशीर्वाद देते हुए कहा कि जो मेरे 5 पुत्र ने नहीं किया। आज मेरा एक पुत्र रमेश ने काम किया है। जिसका में जिंदगी भर एहसान नही भूलेंगे। वही रमेश पांडे ने भी नम आंखों से कहा कि एक मां बहुत ही कष्ट कर बेटे को जन्म देते है। लेकिन जब मां पिता की सेवा के बारी आती है। बेटा कैसे मुकर जाता है। इससे बड़ा दुख की बात क्या हो सकती है।
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