बोकारो जिले के ऊपरघाट मंडल क्षेत्र के विभिन्न गांव से बेरोजगार नौजवान एवं महिलाएँ रोजगार न मिलने से पलायन कर रहे हैं, यह सिलसिला लगातार जारी ,नौजवान रोजी-रोटी की तलाश में अपना परिवार, गांव, घर, खेत-खेलिहान छोड़कर शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। जनप्रतिनिधि भले ही इस कड़वी सच्चाई को न स्वीकारें लेकिन इस सच्चाई को रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर ग्रामीणों की भीड़ देखी जा सकती है। यह झारखंड के लिए कोई नई बात नहीं है। घर में खेती बाडी करके अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले किसान भी निराश है, बार-बार प्राकृतिक आपदाओं में कभी सूखा, कभी अतिवृष्टि से फसलें तबाह होने का जो क्रम बना है उससे पलायन का सिलसिला और जोरों से बढ़ गया है। खेती से रोजी रोटी की जुगाड़ न होने पर बड़ी संख्या में ग्रामीण गांव छोड़कर काम की तलाश में महानगरों की ओर पलायन कर रहे हैं।बोकारो,पारसनाथ व हटिया रेलवे स्टेशन से प्रतिदिन 300 से 400 परिवार काम की तलाश में मुंबई,चेन्नई, गुजरात,कलकत्ता बिशाखापटनम, आदि महानगरों के लिए पलायन कर रहे हैं,इस संबंध में दु:ख व्यक्त करते हुए समाजसेवी भुनेश्वर कुमार महातो ने बताया की हमारा झारखंड राज्य पुरा खनिज संपदा से भरा पुरा राज्य है, बावजूद बोकारो जिला सटे हजारीबाग, गिरिडीह क्षेत्र पुरा इंडस्ट्रियल एरिया है फिर भी यहाँ के युवा रोजगार के अभाव में दूसरे राज्यों में पलायन करने को विवश हैं, झारखंड बनने के 24 वर्ष बित जाने के बावजूद भी इस राज्य की स्थिति जस की तस है। वही बोकारो जिले के नावाडीह प्रखंड के ऊपरघाट क्षेत्र से प्रति दिन सैकड़ों नौजवान युवा एवं महिलाएं रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं। पलायन कर रहे नौजवानों के प्रति दु:ख व्यक्त करते हुए युवा समाजसेवी भुनेश्वर कुमार महतो ने बोले की झारखंड राज्य अलग हुआ, तो हम सभी को विश्वास था कि अब हमें पलायन नहीं करना पड़ेगा लेकिन पलायन कई गुणी और बढ़ रही है, गांव गलियां सूनी हो गई हैं। अधिकांश क्षेत्र के नौजवान मुंबई, गुजरात,पुणे, हैदराबाद, दिल्ली, चेन्नई सहित अन्य महानगरों की ओर पलायन कर चुके हैं। गांवों में वृद्ध और बच्चे ही बचे हैं।पारसनाथ, हटिया रेलवे स्टेशन और राँची के बस स्टैंड पर महानगरों की ओर जाने वाले ग्रामीणों ने गांव छोड़कर काम के लिए महानगरों की ओर जाने की जो व्यथा सुनाई है उससे साफ जाहिर है कि अपने क्षेत्र में रोजगार की सुबिधा ना मिलने से नौजवान पलायन को मजबूर है, रोजी रोटी के लिए वे अपने परिवार के बुुजुर्गों, किशोरियों को छोड़कर शहर जाने को मजबूर हैं।
🔴 लापरवाही:- सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलने का भी ग्रामीणों ने लगाया आरोप
उल्लेखनीय है कि गांवों से पलायन रोकने के लिए मानव श्रम को ग्राम विकास में भागीदारी बनाने के तहत लागू कई योजनाएं भी ग्रामीणों को गांव में काम नहीं दिला पाई हैं। जहां भी काम हुए वहां मानव श्रम की बजाए मशीनों से काम कराए गए जिससे स्थिति बिगड़ती चली गई। ऐसे ही लगातार बद बदतर हो रहे हालातों से जूझते हुए ग्रामीण अब रोजी रोटी की तलाश में अपना घर मकान खेत खेलिहान छोड़कर शहरों की ओर कुच करने लगे हैं। ऐसा नहीं कि इस बारे में अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को जानकारी न हो इसके बावजूद पलायन को आज तक रोका नहीं जा सका है प्रवाशी मजदूरों के हितार्थ मे कार्य कर रहे समाजसेवी भुनेश्वर कुमार महातो ने कहा चुनाव आते ही क्षेत्र में राजनीतिक दलों के नेता बड़े-बड़े वादे कर वोट मांगते हैं। जितने के बाद कोई नहीं सोचता है। इसके कारण हम युवाओं को दूसरे प्रदेशों में रोजी-रोटी की तलाश के लिए पलायन करना पड़ता है।
फोटो :- क्षेत्र में रोजगार नही मिलने पर सेकड़ो प्रवाशी मजदूर मतदान करके निकले अपनी रोजी रोटी की तलाश में
आईसेक्ट विश्वविद्यालय की ओर से जल संरक्षण को लेकर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
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