गया पूजा वैसे तो मुख्य तौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश मनाया जाता है, लेकिन अब इसकी ग्लोबल पहचान बन चुकी है। लोक आस्था के इस पर्व में उगते और डूबते सूर्य की अराधाना की जाती है। सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है। छठ पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ और कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। कार्तिक महीने में मनाए जाने वाले छठ की अधिक मान्यता है और इसी महीने में लोग इस पर्व को व्यापक रूप से मनाते हैं।
चार दिनों तक चलने वाला यह त्योहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय से शुरू होता है, जो इस बार सोमवार यानी 8 नवंबर को पड़ रहा है।नहाय-खाय के दिन व्रती गंगा या पास के नदी, तलाब में डुबकी लगाती हैं और केवल एक बार सात्विक भोजन करते हैं। कार्तिक मास की पंचमी को खरना भी कहा जाता है। इस दिन व्रती शाम को गुड़, अरवा चावल की बनी खीर और रोटी खाते प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। इसके बाद तीसरे दिन भगवान सूर्य को संध्या में अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन उगते सूर्य को। खास बात यह है कि खरना के दिन शाम में प्रसाद ग्रहण करने के बाद से करीब 36 घंटे तक यानी उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देने तक व्रती यह व्रत निर्जला करते हैं। इन चार दिनों में व्रतियों के प्यजा, लहसून या किसी तरह का मांसाहारी भोजन वर्जित रहता है।
नहाय-खाय का महत्व-
छठ पर्व में साफ-सफाई का विशेष महत्व होता है। कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को छठ पर्व का प्रथम दिन होता है। इस दिन व्रती प्रातः काल जल्दी उठकर साफ-सफाई करते हैं और स्नानादि करने के पश्चात छठ पर्व का आरंभ किया जाता है।
नहाय खाय के दिन क्या करें- आज सुबह उठकर स्नान करें और घर की अच्छी से साफ सफाई कर लें. नहाने के बाद नई साड़ी पहनें. सूर्य देव की उपासना करें. इस दिन माथे पर पीला सिंदूर लगाए. घऱ के अन्य सदस्य भी नहा धोकर स्वस्छ हो जाएं. इसके बाद छठ पूजा के प्रसाद की तैयारी करें. नहाय खाय के दिन चनादाल कद्दू की सब्जी, साग और अरवा चावल का भात प्रसाद के रूप में बनाया जाता है. इन सभी प्रसाद को मिट्टी के चूल्हें पर बनाएं. क्योंकि मिट्टी का चूल्हा पवित्र माना जाता है. इस दिन बनने वाले खाने में सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है. व्रती के साथ साथ घर के अन्य लोग भी यही भोजन करेंगे.नहाय खाय के दिन से ही घर में हे छठी मईया के गीत बजने लगते हैं और चारों ओर उत्सवी और भक्तिमय हो जाता है. बाजारों से लेकर घरों तक छठ पर्व की रौनक बढ़ जाती है. आज नहाय खास की विधि पूरी होने के बाद कल मंगलवार को खरना पूजा की जाएगी. खरना करने का मुहूर्त शाम 5 बजकर 45 मिनट से 6 बजकर 25 मिनट तक है. इस दिन खीर और पूरी का प्रसाद बनाया जाता है.
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