गया में अंबेडकर जी के सपनों का भारत सामाजिक समरसता से परिपूर्ण तथा छुआछूत, भेदभाव चाहे वह लिंग, जाति, समुदाय तथा धर्म किसी भी रूप में हो, से इतर था | उन्होंने हमेशा समतामूलक समाज और राष्ट्र की स्थापना को ही अपना जीवन ध्येय माना है । ये महत्वपूर्ण वक्तव्य भारतीय शिक्षण मण्डल के सह संगठन मंत्री शंकरानंद बी० आर ने दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) में आयोजित एक विशेष व्याख्यान में है | देशभर में मनाए गए डॉ०भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस सप्ताह के उपलक्ष्य में सीयूएसबी द्वारा ‘‘बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के सपनों का भारत एवं नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’’ विषय पर एकल व्याख्यान का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम का आयोजन विवि के अनुसूचित जाति/ जनजाति प्रकोष्ठ एवं भारतीय शिक्षण मण्डल के संयुक्त तत्वावधान में किया गया तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय कुलपति प्रो० कामेश्वर नाथ सिंह ने की है ।
मुख्य वक्ता के रूप में शंकरानंद बी आर डॉ० अंबेडकर के जीवन संघर्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी दूरदर्शिता के कारण उन्हें विश्व पटल पर इतना सम्मान और मान्यता प्राप्त हुई की, उनकी प्रतिमा को विश्वभर मे जगह जगह प्रतिस्थापित किया गया जो उनके अथक संघर्ष का परिणाम था अंबेडकर भारत के वो महामानव हैं जिनमे अप्रत्याशित दूरदर्शिता थी लेकिन उनके व्यक्तित्व में द्वेष किंचित, नाम मात्र भी न था अंबेडकर ने एक ऐसे स्वतंत्र भारत की कल्पना की थी जहाँ हर व्यक्ति को उसकी योग्यता के अनुसार यथोचित सम्मान प्राप्त होगा | राष्ट्रीय शिक्षक नीति (एनईपी) 2020 भी उसी सपनों के भारत को प्राप्त करने के लिए एक सशक्त माध्यम के रूप मे हम सभी के सामने प्रस्तुत है अंबेडकर भारत के वो गौरवशाली व्यक्ति हैं जिन्होने घोर सामाजिक उपेक्षा और तिरस्कार के बाद भी एक समतामूलक संविधान समस्त देश को प्रदान कर हमें गणतान्त्रिक बनाया है हम आज भी बाबासाहब के व्यक्तित्व और कृतित्व को पूर्णतया नहीं जान पाए हैं या हमने उनकी व्याख्या अधूरे तरीके से की है । शंकरानंद ने कहा कि ये विडंबना है कि अंबेडकर को एक वर्ग विशेष का नेता मानकर उनके व्यक्तित्व को संकुचित करने का प्रयास किया जाता रहा है जबकि वास्तविकता ये है कि वे एक वर्ग विशेष के नेता न होकर समस्त भारतीयों के सर्वमान्य नेता हैं |
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सीयूएसबी के कुलपति प्रोफ़ेसर कामेश्वर नाथ सिंह ने कहा कि भारत रत्न बाबा साहब भीम राव अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान ही भारत जैसे विशाल देश को एक सूत्र मे बांधे रखने मे सक्षम है | बाबा साहेब के सपनो को साकार करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 उसी संवैधानिक मूल्यों को विकसित करते हुए एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण के लिए हम सभी के सम्मुख प्रस्तुत है | उन्होने कहा कि ये हम सभी की जिम्मेदारी है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति और अंबेडकर द्वारा प्रस्तावित एवं स्थापित लोकतान्त्रिक मूल्यों के अनुरूप ही देश के विकास मे योगदान प्रदान करें | बाबा साहब भीम राव अंबेडकर ने एक समता आधारित समावेशी समाज का स्वप्न देखा था और नई शिक्षा नीति उसी सपने को मूर्त रूप मे स्थापित करने के सक्षम है | कुलपति ने कहा कि बाबा साहब विराट व्यक्तित्व के धनी थे। उन्हें किसी परिधि में शामिल नहीं किया जा सकता है। वह भारतीय वांग्मय के ध्रुवतारा थे और जब भी देश, समाज को नई दिशा की जरूरत होगी उनका चिंतन मार्गदर्शक होगा । प्राचीनकाल से ही मनुष्य धुर्वतारे के सहारे सही दिशा का पता लगाते आ रहे हैं, बिलकुल वैसे ही भारत देश की मुलभुत आदर्शों एवं इसकी महानता को समझने के लिए बाबा साहब डॉ० भीमराव अंबेडकर के आदर्श एवं व्यक्तित्व धुर्वतारे की तरह से देशवासियों का मार्गदर्शन कर रहे हैं |
सर्वप्रथम डॉ० अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण कर एवं मोमबत्ती का प्रज्वलन कर कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन हुआ है | तत्पश्चात अध्यक्ष, अनुसूचित जाति/जनजाति प्रकोष्ठ एवं रसायन विभाग के सह-प्राध्यापक डॉ० जगन्नाथ राय द्वारा एससी एसटी सेल के गठन और कार्यों का परिचय कराया गया है | इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ रोहित कुमार ने भारतीय शिक्षण मण्डल के इतिहास और कार्यप्रणाली के बारे मे विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया है | एससी एसटी सेल के श्री बल्लम रजक एवं अल्बिनस टोपनो द्वारा मुख्य अतिथि को पुष्पगुच्छ भेंटकर उनका स्वागत किया गया, वहीँ बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्राध्यापक प्रोफेसर रिज़वानुल हक़ ने शंकरानंद बी० आर को शाल भेंट किया है | इसी क्रम मे एससी एसटी सेल की सदस्य एवं विकास अध्ययन विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ०अंजु हेलन बारा ने मुख्य अतिथि का परिचय कराया है | इस कार्यक्रम के अंत मे धन्यवाद ज्ञापन शिक्षक शिक्षा विभाग के सह-प्राध्यापक डॉ० रवि कान्त ने किया है । इस अवसर पर भारतीय शिक्षण मंडल के अधिकारीगण, विश्वविद्यालय के अनुसूचित जाति/ जनजाति प्रकोष्ठ के सदस्यगण, शिक्षकगण एवं शिक्षकेतर कर्मचारी, विभिन्न विभागों के शोधार्थी एवं विद्यार्थीगण उपस्थित रहे ।
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