प्रमंडल के सभी जिलों के सम्बंधित विभागों के जिला स्तर के पदाधिकारी हुए शामिल
गया। कल शनिवार के दिन महाबोधि होटल टेकुनाफ़र्म बोधगया में महिला एवं बाल विकास निगम, के द्वारा गया में प्रमंडल स्तरीय जेंडर बजटिंग कार्यशाला का आयोजन किया गया है इस. कार्यशाला का उद्घाटन महिला एवं बाल विकास निगम के कार्यपालक निदेशक अजय कुमार श्रीवास्तव द्वारा निदेशक, राजीव वर्मा, औरंगाबाद के उप विकास आयुक्त अभ्येंद्र मोहन सिंह एवं अन्य गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में दीप प्रज्वलित कर किया गया किया है ।
औरंगाबाद के उप विकास आयुक्त अभ्येंद्र मोहन सिंह ने कहा कि आज के इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जो जानकारी प्राप्त करेंगे, उस के आलोक में हम लोग जिलों में उस तरह की जो नीतियां हैइस कार्यक्रम है, उसको प्रभावी ढंग से लागू कर पाएंगे।निगम के निदेशक राजीव वर्मा ने कहा कि समाज में जो भी चीजें होती है वो हमारे सामाजिक और सोशल लाइफ को प्रभावित करता हैजेंडर रिस्पॉन्सिव बजटिंग महिलाओं को विकास की मुख्य धारा में लाने का एक सशक्त माध्यम है जिससे महिलाओं को भी विकास का लाभ और बराबर अवसर पुरुषों के समान मिल सके । निगम के कार्यपालक निदेशक अजय कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि बिहार सरकार महिलाओं और किशोरियों के सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध हैं । लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए सरकार ने जेंडर बजटिंग का प्रावधान किया है । जेंडर बजटिंग का उद्देश्य तभी सफल हो सकता है, जब हम इसके परिणामों का विश्लेषण जमीनी स्तर करेंगे। सिर्फ बजट को महिलाओं के लिए निर्धारित कर देने से महिलाओं की स्थिति में सुधार नहीं हो सकता बल्कि ज़रूरी है कि हमारा समाज जेंडर के लेकर अपने पूर्वाग्रह को बदले। जब तक हम अपना माइंड सेट नहीं बदलेंगे तब तक बजट में किए गए प्रावधान का असल सामाजिक परिणाम सामने नहीं आयेगा। महिला एवं बाल विकास निगम इस प्रकार की कार्यशालाएं सभी प्रमंडलों में करेगी, इस कड़ी में यह पहला कार्यक्रम है ।सेंटर फॉर कैटेलाईजिंग चेंज की डॉ अनामिका प्रियदर्शी ने जेंडर की अवधारणा से अपना सत्र शुरू किया है। उन्होंने बिहार में महिलायों की स्थिति के बारे में बताते हुए कहा कि बिहार में अब भी लगभग आधी आबादी एनीमिया से पीड़ित हैं । सेंटर फॉर कैटेलाईजिंग चेंज की सुश्री गुंजन बिहारी ने जेंडर बजट के महत्व के बारे में बताया है।
तकनीकी सत्र के दौरान जेंडर बजटिंग की अवधारणा के बारे में बताते हुए वर्ल्ड हेल्थ पार्टनर की जेंडर विशेषज्ञ सुश्री अंकिता भट्ट जेंकहा कि जेंडर बजट के आधार पर ही हम विकास को समावेशी बना सकते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर कुल बजट का 4.4 जेंडर के लिए एलोकेटेड है । जबकि बिहार में यह कुल बजट का 15 प्रतिशत है। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण प्लानिंग करना है । बजट के आवंटन को जेंडर सेंसिटिव बनाने के साथ ही उस राशि को सही तरीके से खर्च करना होगा। इस कार्यक्रम में प्रमंडल के सभी जिलों के सम्बंधित विभागों के जिलास्तर के लगभग 40 पदाधिकारियों ने भाग लिया है । कार्यक्रम का मंच संचालन निगम की प्रबंधक, क्षमतावर्धन सुश्री रश्मि रंजन ने किया है ।
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