*-छात्राओं ने रसोई के कचरों से कंपोस्ट खाद तथा बायोएन्जाइम्स बनाने की विधियाँ सीखी*
गया। गौतम बुद्ध महिला कॉलेज गया में प्रधानाचार्य प्रो. जावैद अशरफ़ के संरक्षण में कॉलेज की पर्यावरण समिति, जंतु विज्ञान विभाग तथा वनस्पति विज्ञान की ओर से संयुक्त रूप से बीएससी प्रतिष्ठा खंड-एक, दो तथा तीन की छात्राओं के लिए दो-दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जंतु विज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. फरहीन वजीरी तथा वनस्पति विज्ञान की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रुखसाना परवीन के निर्देशन में छात्राओं ने रसोई के कचरे और फूड स्क्रैप्स, यानी सब्जी, फलों तथा अंडों के छिलकों, चाय पत्तियों आदि को जैविक रूप से विघटित करके कंपोस्ट खाद बनाने की कला सीखी। कॉलेज की जनसंपर्क अधिकारी-सह-मीडिया प्रभारी डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने बतलाया कि दो- दिवसीय इस कार्यशाला में सौ से अधिक विज्ञान की छात्राओं की प्रतिभागिता रही। प्रधानाचार्य प्रो. अशरफ़ ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान करते हुए प्रतिदिन रसोई से निकलने वाले कचरे का प्रबंधन कर उपयोगी कंपोस्ट बनाने को प्रेरित किया। पीआरओ डॉ. रश्मि ने बतलाया कि इस कार्यशाला में छात्राओं ने संतरे तथा अन्य खट्टे फलों के छिलकों से बायोएन्जाइम्स बनाने की वैज्ञानिक विधियाँ भी सीखीं। इस कार्यशाला का लाभ समस्त कॉलेज परिवार ने उठाया। कार्यशाला में उपस्थित प्रो उषा राय, प्रो किश्वर जहाँ बेगम, प्रो अफ्शाँ सुरैया, डॉ शगुफ्ता अंसारी, डॉ रश्मि प्रियदर्शनी, डॉ शिल्पी बनर्जी, डॉ नगमा शादाब, डॉ जया चौधरी, डॉ पूजा, डॉ अनामिका कुमारी, डॉ अमृता घोष, डॉ प्रियंका कुमारी, प्यारे माँझी, प्रीति शेखर, डॉ बनिता कुमारी के साथ शिक्षकेतर कर्मियों एवं अन्य विभागों की छात्राओं ने मिली जानकारी को अत्यंत लाभदायक तथा उपयोगी ठहराया।
ज्ञात हो कि, ‘किचन वेस्ट कंपोस्टिंग’ वह प्रक्रिया है, जिसमें रसोई के कचरे और फूड स्क्रैप्स को जैविक रूप से विघटित करके घर पर पौधों और फसलों को उगाने के लिए अति पोषक खाद बनाया जाता है। फूड स्क्रैप्स, वास्तव में, विटामिन, खनिजों और अन्य पोषक तत्वों के अच्छे स्रोत हैं, जो मिट्टी को पोषक तत्व देते हैं तथा मिट्टी में लगाये गये पौधों तक खनिजों को पहुंचाने का काम करते हैं। उनमें कुछ ऐसे सूक्ष्मजीव भी होते हैं, जो कचरे को जल्दी से कंपोस्ट में परिवर्तित करने काम करते हैं। किचन वेस्ट फेंकने के बजाय उनसे कंपोस्ट बनाने से एक तो घरों से गीला कचरा ना के बराबर बाहर जायेगा। साथ ही, पौधों के लिए खाद भी तैयार हो जाती है।
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