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गया में उदीयमान सूर्य को अघ्र्य देने को फल्गु नदी में जन सैलाब के साथ प्रिति कुमारी भी, फल्गु नदी के पूर्व दिशा की ओर सूर्यकुण्ड,लखिबाग से लेकर बिंदेशवरी तक जबर्दस्त भीड़ छठव्रतियों और श्रद्धालुओं की बनी रही थी प्रिति कुमारी व उनके साथ चल रही महिलाओं द्वारा गाये जा रहे भक्तिमय लोकगीत से पवित्र सिला फल्गु के अलावा चौक,चोराहे पर का दोनों छोर गुंजायमान हुआ है नदी में अहले रात से लोगों का पहुंचने का सिल-सिला बना रहा है छठ व्रत करने वाली प्रिति कुमारी सूर्य को अर्घ्य देने में तन मन से जुटी हैं। सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर प्रिति कुमारी अपने परिवार की मंगल कामना कर रही हैं। प्रिती कुमारी से श्रद्धालु भी अर्घ्य देने व प्रसाद ग्रहण करने में जुटे हैं। अर्घ्य देने वाली छठ व्रति प्रिति कुमारी व उनके परिवार संजय कुमार, बबलू कुमार,मनिष कुमार,उषा गुप्ता,प्पल,अंशु,अमिताभ कुमार,सिमा कुमारी घाट पर प्रसाद ग्रहण करने के साथ ही अपने-अपने घर को लौटने की तैयारी में जुट गए हैं। गया शहर में शह में 24 घाटों पर लोगों की जबर्दस्त भीड़ देखते ही बन रही थी छठ व्रति प्रिति कुमारी ने कल डुबते हुए सूर्य को अर्ध्य देकर,कोसी भी भरी,और कहा की खासकर जोड़े में कोसी भरने को बेहद शुभ माना गया है मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति मन्नत मांगता हैऔर जिसके पूरे होने पर उसे कोसी भरना पड़ता है यह सूर्य षष्ठी की शाम को सूर्य अर्घ्य के बाद घर के आंगन या छत पर कोसी पूजन करना बेहद शुभ और श्रेयकर माना गया है आगे बताई की छठ पूजा से पहले कम से कम चार , सात गन्ने की मदद से एक छत्र बनाया जाता है एक लाल कपड़े में ठेकुआ, फलों का अर्कपात, केराव आदि रखकर गन्ने की छत्र से बांधा जाता है. फिर छत्र के अंदर मिट्टी से बना हाथी रखा जाता है जिसके ऊपर घड़ा रख दिया जाता है मिट्टी से बने हाथी को सिंदूर लगाकर घड़े में मौसमी फल, ठेकुआ, अदरक, सुथनी आदि सामग्रियां रख देंऔर कोसी पर एक दीया जला लें फिर कोसी के चारों ओर अर्घ्य की सामग्री से भरे सूप, डलिया, तांबे के पात्र और मिट्टी का ढक्कन रखकर दीप जलाएं गये है एवंअग्नि में धूप डालकर हवन करते हुए छठी मइया के सामने माथा टेककर आशीर्वाद मांगा जाता है. अगली सुबह यही प्रक्रिया नदी के घाट पर दोहराई जाती है. यहा प्रिति कुमारी के साथ घर की महिलाएं मन्नत पूरी होने की खुशी में मां के गीत गाते हुए छठी मां का आभार जताई है हैं /इस बार घाटों पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए है थे इसके बावजूद पडाका छोडा गया हैआज किसी को कोरोना से किसी प्रकार का कोई खौफ लोगों के बीच नजर नहीं आ रहा था। एक तरह से कर सकते हैं कि कोरोना पर आस्था भारी पड़ा है आज इसके साथ भारत का महान पर्व जो चार दिनों तक चलने वाले आस्था का महापर्व छठ पर्व संपन्न हो गया।
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