जनवितरण प्रणाली के दुकानदार सामान का वजन दिखाते हैं सही, देते हैं कम
धनबाद जन वितरण प्रणाली के दुकानदार सामान तौलते वक्त वजन तो सही दिखाते हैं, मगर गरीबों की झोली में जाते ही वह कम हो जाता है. इस जादू का रहस्य ढूंढना भी मुश्किल है. क्योंकि सीधे-सादे गरीब लोग तकनीकी ज्ञान में भी कमजोर हैं. दुकानदार उनकी इसी कमजोरी का फायदा उठाते हैं. हकमारी और घपलेबाजी के नये तौर तरीकों में इलेक्ट्रॉनिक तराजू भी जुड़ गया है. सरकार ने इसमें चिप लगाना अनिवार्य किया है. मगर शहर की अधिकतर दुकानों की इस मशीन में चिप नहीं लगा है. तराजू में चिप नहीं रहने से गरीबों को सही वजन नहीं मिल रहा है. जन वितरण दुकान से राशन उठाने वाले लोगों का कहना है कि दूसरी जगह वजन कराने पर पांच किलो अनाज साढ़े चार किलो हो जाता है. दुकानदारों से शिकायत करने पर उल्टे फटकार मिलती है.
शहरी क्षेत्र के लोगों के लिए है 704 दुकान
शहरी क्षेत्र में गरीबों तक राशन पहुंचाने के लिये जिला प्रशासन ने 704 पीडीएस दुकानें खोल रखी हैं. अधिकतर दुकानों में इलेक्ट्रॉनिक तराजू में चिप नहीं लगा है. जिनमें वार्ड संख्या 21 से 33 तक शामिल हैं. मनईटांड़ के कुछ दुकानदारों ने बताया कि वे लोग ऐसा नहीं करते हैं. कम वजन देने का काम वही लोग करते हैं, जो खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के करीबी है. अनाज में गड़बड़ी सिर्फ दुकानदारों के भरोसे सम्भव नहीं है.
क्या कहते हैं उपभोक्ता
हीरापुर, प्रेम नगर निवासी शांति देवी ने बताया कि कम वजन देने का सिलसिला बहुत पहले से चल रहा है. दुकानदार नये नये तरीके अपनाते रहते हैं. चिरागोड़ा प्रोफेसर कॉलोनी निवासी मदन प्रसाद कहते हैं कि अनाज हर बार घर लाने के बाद डेढ़ किलो कम हो जाता है. कहा कि शिकायत करें तो कोई सुनता नहीं है. भिस्तीपाड़ा निवासी राम मोहन ने बताया कि कोटा से अनाज तो कम मिलता ही है, कई बार अनाज की क्वालिटी इतनी खराब होती है कि खाया नहीं जा सकता. परंतु गरीबी जो न कराए.
कोन है इसका जवाबदेह और क्या कहते हैं जिम्यदार व्यक्ति
खाद्य आपूर्ति पदाधिकारी भोगेन्द्र ठाकुर ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक तराजू में चिप लगाने से वजन में हेराफेरी की गुंजाइश खत्म हो जाती है. गरीबों को सही वजन में अनाज मिलता है. इसलिये तराजू में चिप लगाना अनिवार्य किया गया है. यदि कोई ऐसा नहीं कर रहा है तो गलत है. ऐसे दुकानदारों की सूची तैयार कर कार्रवाई की जाएगी.