रांची : झारखंड के साथ ही पूरे देश में एक बार फिर से बिजली संकट का खतरा मंडराने लगा है. झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में कोयले की कई खदानें हैं, जो देश भर के बिजली उत्पादन संयंत्रों की जरूरतों को पूरा करते हैं. लेकिन, पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण यहां के कोयला खदानों से कोयले का खनन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. झारखंड की कोयला खदानों में उत्पादन आधा रह गया है. यही स्थिति बनी रही तो आने वाले दिनों में बिजली संयंत्रों के कोयले आपूर्ति में कमी हो सकती है. इसके कारण एक बार फिर से देश में बिजली का संकट गहरा सकता है. दरअसल, थर्मल पावर स्टेशनों में कोयले से ही बिजली बनाई जाती है, ऐसे में कोयले की पर्याप्त आपूर्ति न होने पर उसका असर पावर जेनरेशन पर पड़ सकता है. कोयला खनन कंपनियों के अधिकारियों के हवाले से बारिश के कारण कोयला खदानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की बात कही गई है. इसके अनुसार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में स्थित कोयला खदानों पर बारिश का व्यापक असर पड़ा है. इसके कारण कोयला उत्पादन में 50 प्रतिशत तक की गिरावट आने की बात भी कही गई है. वहीं, डिस्पैच भी 30 से 40 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है. जानकारी के अनुसार, बीसीसीएल, सीसीएल एवं ईसीएल के उत्पादन और डिस्पैच पर असर पड़ा है. ईसीएल की झारखंड और पश्चिम बंगाल स्थित कोयला खदानें प्रभावित हुई हैं. बीसीसीएल और सीसीएल के कोयला खदान क्षेत्र में लगातार बारिश हो रही है, जिसका असर उत्पादन पर पड़ा है. पिछले दिनों भी झारखंड में मूसलाधार बारिश होने के कारण कोयला उत्पादन का कार्य बाधित हुआ था. इसके कारण बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति मांग के अनुरूप नहीं हो सकी थी. इसके कारण देश भर में बिजली संकट गहरा गया था. झारखंड में राजधानी रांची को छोड़ कर तकरीबन हर शहर और ग्रामीण इलाकों के लोगों को बिजली कट की समस्या झेलनी पड़ी थी. संकट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुर्गा पूजा होने के बावजूद बिजली विभाग को पावटर कट लगाना पड़ा था.
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