हजारीबाग : कांग्रेस कार्यालय कृष्ण बल्लभ आश्रम में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के आकस्मिक निधन पर एक शोक सभा का आयोजन किया गया ।
इस अवसर पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1934 को शिमला, हिमाचल प्रदेश में हुआ था । रामपुर-बुशहर शाही परिवार के वंशज, वीरभद्र सिंह नाम से मशहूर राजा साहिब नें एक राज्य पर नही बल्कि हिमाचल प्रदेश के लोगों के दिलों पर पांच दशकों से ज्दाया समय तक शासन किया था । उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में आठ बार विधायक, पांच बार सांसद और छह बार मुख्यमंत्री रहे ।
कांग्रेस की पुरानी पीढ़ी से नाता रखने वाले राजा साहिब 27 साल की उम्र में 1962 में लोकसभा चुनाव से अपने राजनीतिक की शुरुआत की थी । साल 1976-77 में केन्द्रीय पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्री बने थे । उन्होंने 2009 में लोकसभा चुनाव जीता और केन्द्रीय इस्पात मंत्री और बाद में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री के रूप में काम किया । कोई भी इनकी लोकप्रियता की बराबरी नही कर सकता था । वह बहुत ही स्नेह करने वाले लोगों की बात बेहद प्यार से सुना करते थे । वह अक्सर अपने भाषणों में के कहते थे मेरी जनता मेरी सबसे बड़ी ताकत है ।
उनकी लोकप्रियता ऐसी थी कि अपने निर्वाचन क्षेत्र में नामांकन पत्र दाखिल करने बाद वे कभी अपने निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार करने नही जाते थे । उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी कि वो अपनें 47 वर्षों के राजनैतिक सफर के दौरान 13 बार चुनाव लड़े और सभी चुनाव जीते । वह हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के चार बार अध्यक्ष भी रहे । राजनीतिक के अलावा वीरभद्र सिंह विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक निकायों के साथ भी भागीदारी की है । कार्यक्रम के अंत में उनके आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया ।
मौके पर वरिष्ठ कांग्रेसी विरेन्द्र कुमार सिंह, मिथिलेश दुबे, उपाध्यक्ष सह प्रवक्ता निसार खान, गोविंद राम, सुनिल सिंह राठौर, ओमप्रकाश गोप, जावेद मल्लिक, राजू चौरसिय, सुनिल कुमार ओझा, सदरूल होदा, संजय कुमार तिवारी, मजहर हुसैन, सुधीर पाण्डेय, भैया असीम कुमार के अतिरिक्त कई कांग्रेसी उपस्थित थे ।
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