जिसको 2023 में लॉन्च होना था वह अब 2024 में लॉन्च होगा
नासा-ISRO ने निसार पर काम लगभग पूरा कर लिया हैं। अब ये मिशन परीक्षण के दौर पर हैं। माना जा रहा हैं कि 2024 की पहली तिमाही में इसे लांच कर दिया जाएगा। जो धरती पर आने वाली हर आपदा का पहले ही संकेत दे देगा। नासा जेपीएल की निदेशक लॉरी लेशन ने इसकी जानकारी दी गई हैं। उन्होंने बताया है कि यह मिशन दोनों ही देशों के लिए बहुत खास हैं।
2024 में लॉन्च होगा निसार, NASA-ISRO का वो मिशन जो पहले ही कर देगा भूकंप की भविष्यवाणी।
NASA और ISRO मिलकर सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) लॉन्च करने की तैयारी कर रहे हैं, यह मिशन 2024 में लॉन्च होगा। जो धरती की निगरानी करेगा। पर्यावरण में हो रहे बदलावों का अध्ययन करेगा। भूकंप व अन्य आपदाओं की जानकारी देगा। फिलहाल मिशन का परीक्षण किया जा रहा हैं। इसमें 20 दिवसीय एंटीना परीक्षण पूरा किया गया। इसी बातें का खुलासा खुद नासा की जेट प्रोपल्शन लैब की निदेशक लॉरी लेशन ने दी गई।
नासा जेपीएल की निदेशक लॉरी लेशन के मुताबिक NISAR 2024 में लांच किया जाना हैं। इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO और NASA ने संयुक्त रूप से तैयार किया गया। जो धरती का अध्ययन करेगा। ऐसा पहली बार होगा। जब दोनों देश औपचारिक रूप से एक-दूसरे के साथ इतने बड़े मिशन पर काम कर रहे हैं। बताया जाता हैं कि यह मिशन 2024 की पहली तिमाही में लांच हो जाएगा। जिसकी अवधि तकरीबन तीन माह होगी।
क्या हैं NISAR
NISAR एक रडार मशीन हैं। जो धरती की सतह की निगरानी करेगा। ताकि ये पता चल सके कि आखिर धरती की सतह में किस तरह के बदलाव हो रहे हैं। दरअसल भारत औंर अमेरिका की स्पेस एजेंसियां ये समझना चाहती हैं कि आखिर पर्यावरण कैसे बदल रहा हैं। लॉरी लेशन के मुताबिक इससे यह जानने में मदद मिलेगी। समुद्री तटों पर मैंग्रोव पर्यावरण कैसे बदल रहा है यानी कि बर्फ की चादरें कैसे बदल रही हैं। पूरी संसार में भूकंप औंर ज्वालामुखी कैसे काम कर रहे हैं। निसार सैटेलाइट 2600 किलो वजन होगा। जो संसार भर के मौसम की भविष्यवाणी करेगा। यह पहले ही बता देगा कि किस क्षेत्र में भूकंप आने वाला हैं। सुनामी आने वाली हैं या भूस्खलन होने वाला हैं।
2024 में श्रीहरिकोटा से होगा लॉन्च
नासा औंर इसरो का यह मिशन लो अर्थ ऑर्बिट तक जाएगा। इसे 2024 के शुरुआत की पहली तिमाही में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच किया जाएगा। फिलहाल इसका परीक्षण चल रहा हैं। लॉरी लेशन के मुताबिक इसे GSLV यानी जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हीकल मार्क-II से लांच किया जाएगा। यह मिशन तीन साल का होगा। जो हर 12 दिन में धरती की बर्फ से ढकी सतह का अध्ययन करेगा।
उत्साहित हैं वैज्ञानिक
नासा जेपीएल की निदेशक लॉरी लेशन के मुताबिक बेंगलुरु में नासा औंर इसरो के सहयोगियों ने एक साथ मिलकर काम किया यह बहुत ही रोमांचक अनुभव रहा हैं। इसी दौरान दोनों ही देशों के वैज्ञानिक ने एक-दूसरे का भरपूर सहयोग किया गया। एक अच्छे टीम वर्क के साथ दोनों देशों के वैज्ञानिकों ने एक-दूसरे से काफी कुछ सीखा गया। लेशन ने दावा किया कि निसार के बाद नासा औंर इसरो मंगल और मून मिशन में भी काम करने के लिए उत्सुक हैं।
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